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सपना गेंदबाज बनने का लेकर आये थे लेकिन बन गए महान बल्‍लेबाज!

बल्‍लेबाज

क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जिसमें क्रिकेटरों ने एक गेंदबाज के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन आगे चलकर वो विशेषज्ञ बल्‍लेबाज बने।

सचिन तेंडुलकर जिन्‍हें क्रिकेट का भगवान माना जाता है, उनकी कहानी तो आपको पता ही होगी। वह एक मध्‍यम तेज गेंदबाज के तौर पर अपना करियर बनाना चा‍हते थे, लेकिन आज उनकी आंकड़े उनका परिचय देते हैं। वह क्रिकेट के भगवान माने जाते हैं।

इसी प्रकार सौरव गांगुली भी गेंदबाज बनकर अपना करियर बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी बल्‍लेबाजी के भी लोग दीवाने हैं। राहुल द्रविड़ ने गांगुली को गॉड ऑफ ऑफ साइड की उपाधी दी।

क्रिकेट बदलने के साथ ही क्रिकेटरों के रवैये में भी बदलाव आया है। मौजूदा समय के युवा खिलाड़ी बल्‍लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में दक्ष हैं। ऑस्‍ट्रेलिया के स्‍टीव स्मिथ अब विश्‍व स्‍तरीय बल्‍लेबाज बन गए हैं, लेकिन आपको पता हो कि उन्‍होंने भी अपने करियर की शुरुआत एक लेग स्पिनर गेंदबाज बनकर की थी।

आज हम आपको ऐसे ही कुछ चुनिंदा क्रिकेटरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्‍होंने एक गेंदबाज बनकर अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन अब वह टीम के विशेषज्ञ बल्‍लेबाज हैं।

आईए नजर डालते हैं उन क्रिकेटरों पर-

सौरव गांगुली-

प्रिंस ऑफ कोलकाता। बंगाल टाइगर। गॉड ऑफ ऑफ साइड। दादा और न जाने कितने नामों से मशहूर पूर्व कप्‍तान सौरव गांगुली ने भी एक गेंदबाज बनकर अपने करियर की शुरुआत की थी। रणजी टीम में उनका चयन मध्‍यम तेज गेंदबाज की कमी को पूरा करने के लिए ही हुआ था। बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के नए अध्‍यक्ष बने सौरव गांगुली ने बल्‍लेबाजी और कप्‍तानी से वो कमाल किया कि बड़ी संख्‍या में लोग उनके दीवाने बन गए। ‘दादा’ ने 113 टेस्‍ट में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाए। इसमें 16 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं 311 वन-डे मैचों में सचिन के बेस्‍ट जोड़ीदार ने 22 शतक और 72 अर्धशतकों की मदद से 11,363 रन बनाए। वन-डे में गांगुली का औसत 41.02 रहा। सचिन तेंडुलकर के समान ही गांगुली ने भी समय-समय पर अपनी गेंदबाजी से टीम को फायदा पहुंचाया। भारत के सबसे सफल कप्‍तानों में से एक गांगुली ने टेस्‍ट में 32 और वन-डे में 100 विकेट लिए।

sourav-ganguly

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