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वो अलफ़ाज़ जिन्हें पढ़कर इश्क़ को भी इश्क़ हो जाये

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चौदहवीं रात के इस चाँद तले सुरमई रात में साहिल के क़रीब

दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब

बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी

दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले !

-गुलज़ार

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प्रेम