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मुंबई में एक बैचलर की कहानी! ऐसी होती है ज़िन्दगी!

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5) घर में सेटल होना आसान है, समाज में यानि कि बिल्डिंग की सोसाइटी में उतना ही मुश्किल! घर से निकलते ही लोग आपको ऐसी तुच्छ नज़रों से देखेंगे जैसे आप कोई पाप करके आ रहे हो! आप उन से नज़रें मिलायेंगे और पढ़ लेंगे उनके विचार: यह बैचलर पक्का रात को शराब पीकर आता है, जाने कितनी लड़कियों को फ़्लैट में लाता है, इसे तो यहाँ से निकालना ही पड़ेगा! पसीना-पसीना हो जाते हैं ऐसे विचार पढ़के और सोचना पड़ता है कि कैसे बताएँ कि नौकरी से साँस लेने कि फ़ुर्सत नहीं है, अय्याशी कहाँ से होगी?

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