६ . हेरा फेरी –
ऐ राजू ……. , बाबु भैय्या……. उठा ले रे देवा उठा ले , मुझे नहीं इन दोनों को उठा ले … ये संवाद किसी ना किसी कमरे में रोज़ ही गूंजते मिलेंगे , और साथ मिलेगा दोस्तों का एक हुजूम ठहाके लगता हुआ किसी तवो या थ्री सीटर रूम में . ऐसा जलवा है हेरा फेरी का . अनगिनत बार देखना भी कम है इसे. और अगर वक्त नहीं तो भी कोई बात नहीं आगे बढाकर इसके चुनिंदा सीन देखते हुए कोई न कोई मिल जायेगा , चाहे बाबु भैया का टेलेफोन हो या खडग सिंह और श्याम की लुक्का छुपी .

