धर्म और भाग्य

यूनान में इस रूप में होती है भगवान कृष्ण की पूजा

भगवान कृष्ण की पूजा – पृथ्वी पर ना जाने कितनी बार भगवान श्री कॄष्ण ने जन्म ले बुराई का नाश किया है लेकिन उसके बाद भी अभी तक इस धरती पर धर्म की संस्थापना नहीं हो पाई है।

आज भी दुराचारी व्यवस्था का संहार है। वहीं भगवान श्रीकृष्ण का अस्तित्व लोगों को नायक का प्रतिनिधित्व करता है। सत्ययुग में जहां भगवान का वास हुआ करता था वहीं कलियुग में राक्षसों का वास है। इस दौर में मानो भगवान श्रीकृष्ण की मौजूदगी महसूस ही ना होती हो। उनकी आस में आज भी बालिकाएँ ये सोच कर बैठी हैं कि जिसने कौरवों की सभा में द्रौपदी की लाज बचाई थी वो आज भी वापिस आएंगे।

यूनानी दार्शनिकों को श्रीकृष्‍ण ने अपनी लीलाओं से इतना अभिभूत कर दिया कि नियार्कस, ओनेसिक्रिटस, मेगस्‍थनीज, प्‍लूटार्क व स्‍ट्रेबो ने कृष्‍ण का तादात्‍मय अपने प्राचीन देवता हेराक्‍लीज से कर दिया।

सिकंदर के काल के इतिहासकार बताते हैं कि पोरस से युद्ध करते समय भी सिकंदर हेराक्‍लीज यानि कृष्‍ण की मूर्ति साथ रखते थे। इंडिकामेगस्‍थनीज ने लिखा है कि शूरसने राज्‍य की राजधानी मथुरा और कृष्‍णपुरा के निवासी हेराक्‍लीज देवता की आराधना करते हैं।

महाराष्‍ट्र के नानाघाट से मिले एक पुरातात्‍विक अभिलेख में भगवान कृष्‍ण और उनके बड़े भाई बलराम की पूजा का वर्णन मिलता है। वहीं कुषाण काल में भी भगवान कृष्ण की पूजा भारत के विभिन्‍न भागों में की जाती थी।

हिंदू धर्म में श्रीकृष्‍ण को अलग-अलग रूपों और नामों से पूजा जाता है और सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि तमिल प्रदेश के लोग और यूनानी भी श्रीकृष्‍ण की पूजा करते हैं। इस तरह भगवान कृष्‍ण पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं।

आपको बता दें कि श्री कृष्‍ण की लोकप्रियता और भक्‍त सिर्फ भारत में ही नहीं हैं बल्कि पूरी दुनिया और विदेशों में भी श्रीकृष्‍ण को बहुत पूजा जाता है। अभी कुछ दिनों पहले ही जन्‍माष्‍टमी का पर्व मनाया गया था और इस मौके पर भारत के सभी मंदिरों में खूब धूमधाम देखने को मिली थी लेकिन विदेशों में भी अंग्रेजी सभ्‍यता का पालन करने वाले लोगों ने इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया था।

श्रीकृष्‍ण ने अपने इस अवतार से पहले और बाद में और कई भी रूप धारण किए थे। आपको बता दें कि द्वापर युग से पूर्व श्रीकृष्‍ण ने सतयुग में श्रीराम के रूप में जन्‍म लिया था। सतयुग में श्रीरामअत्‍यंत सरल और ईमानदार थे किंतु द्वापर युग में भगवान विष्‍णु के कृष्‍णस्‍वरूप ने कई छल और कपट किए। कहा जाता है कि भगवान विष्‍णु के कृष्‍णस्‍वरूप से ही धरती पर छल, कपट और झूठ जैसी चीज़ें अवतरित हुईं। भगवान कृष्‍ण के बाद ही धरती पर द्वापर युग के बाद कलियुग आया। कहा जाता है कि श्रीकृष्‍ण ने ही द्वापर युग के लिए अवतार लिया था और अब कलियुग के अंत के लिए भी भगवान विष्‍णुकल्कि अवतार में जन्‍म लेने वाले हैं। भगवान विष्‍णु के कल्कि अवतार को लेकर खूब चर्चाएं होती रहती हैं।

भगवान कृष्ण की पूजा – पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्‍ण हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवता हैं और उनकी लीलाओं की चर्चा आज भी हजारों साल बाद होती है। श्रीकृष्‍ण का बाल रूप भी बहुत सुंदर है और उन्‍हें देखते ही आपका मन भी भक्‍तिरस में डूब जाएगा।

Namrata Shastri

Share
Published by
Namrata Shastri

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago