शिक्षा और कैरियर

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते वैसा ही हमारे जीवन मे घटित होता है ।और जो हमारे सोच में घटित ना हो व अचानक हो एक्सीडेंट कहलाता हैं ऒर एक्सीडेंट व चम्तकार बार बार नही होते । सोच हमारी माहौल के परवरिश से तैयार होता है और हमारी सोच का निर्माण कर्ता कौन है हमारे माता-पिता हमारे स्कूल के अध्यापक हमारे टीचर हमारे दोस्त, वह दोस्त जिनके साथ हम खेलते हैं जब हम छोटे से बड़े हो रहे होते हैं तो हमारे स्कूल के टीचर हमारे मां-बाप हमारे रिश्तेदार हमारे दोस्त हमेशा क्या कहते हैं कि बेटा अगर जीवन में कामयाब होना है तो क्या करना होगा बेटा पढ़ो बेटा लिखो और जब पढ़ लिख कर बड़े हो जाओगे तो तुम्हें एक अच्छी नौकरी मिलेगी बचपन से लेकर बड़े होने तक हम मेहनत की क्योंकि हमें हमारी सोच में बार-बार यह बोला गया कि पढ़ो लिखो मेहनत करो ताकि तुम एक अच्छी नौकरी कर सको इस सोच में हमें नौकरी के लिए प्रोग्राम किया गया। ओर जब हमने अपने दोस्तों से कहा कि में अपनी लाइफ में कुछ बड़ा करना चाहता हूँ तब हमारा मजाक उड़ाया । कहा जमीन पे रह आसमान में मत उड़ ।आज हर इंसान की सोच बंध चुकी हैं जिसे पैरामीटर कहा जाता है व उसमें जकड़ कर अपने आप की काबिलियत, को भूल चुके है । आइये समझते है कि सोच में कितनी पावर होती है……!

जब गाय का बछड़ा जब छोटा रहता है तब उसे एक छोटी रस्सी के सहारे बांध दिया जाता है उसके सामने चारा का टोकरा रखकर उसको खाने में बाध्य किया जाता है लेकिन जब वह बछड़ा उस रस्सी से छूटने के लिए काफी कोशिश करता है तो  रस्सी के रगड़ने से उसके गले में काफी निशान पड़ जाते हैं अतः अंत में थक हार कर उसे मजबूरी में वह चारा खाना पड़ता है और एक समय ऐसा आता है कि वही बछड़ा बड़ा होकर एक बैल बन जाता है और खेतों में धरती का सीना फाड़ कर आगे निकलता रहता है लेकिन फिर भी अपने बचपन में बंधे उस खूँट के रस्सी को तोड़ नहीं पाता क्योंकि वह अपनी सोच में बंद चुका है वह समझता है कि मैंने अगर इस रस्सी को बचपन से आज तक नहीं तोड़ पाया तो क्या अब तोड़ पाऊंगा । ओर अपनी यथार्थ शक्ति को भूल कर जिंदगी भर गुलामी में बंधा रहता है । अगर ये तय करना है कि दुनिया का सबसे ताकतवर जानवर जंगल में रहेगा या सर्कस में तो उसकी सोच बांध दो ! अगर सोच बांध देँगे तो वह सर्कस का शेर कहलायेगा। अगर अपनी सोच में आजाद हैं तो जंगल का शेर कहलाएगा ।

निष्कर्ष : आज हर इंसान की सोचने की छमता कम होती जा रही है ,इसका मुख्य कारण है माहौल ,परवरिश ।

जिस प्रकार एक मेंढक अपने ही तलाब को अपनी पूरी बड़ी दुनिया कहता है और कभी उससे बाहर आने की कोशिश नहीं करता लेकिन शायद उस मेंढक को यह पता ना हो कि उससे भी बड़ी एक दुनिया है जिसे समुद्र कहा जाता है आज हमारी जिंदगी एक मेंढक के समान हो गई है हम अपने ही छोटे से कुएं वाली जिंदगी में खुश है और उससे कभी बाहर नहीं आना चाहते हैं आज अपने आप को बदलना होगा आज अपनी सामर्थ्य को पहचानना होगा अपनी सोच को बड़ी करनी होगी और एक नौकरी के समान नहीं बल्कि एक बिजनेसमैन के तौर पर उभरना होगाहुनर हर इंसान के पास होता है लेकिन किसी का छिप जाता है तो किसी का छप जाता है ।

This article is posted by Tej Pal 

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