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नेताओं के झोले से मॉब लिंचिंग पर आपत्ति जनक शब्द

मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल

मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल – राजनीति में अपने कर्मों से ज्यादा दूसरों के कुकर्म गिनाये जाते है, ये बात सब जानते है।

लेकिन कभी कभी ये कर्मो और कुकर्मो की गिनती आपकी संस्कारों का स्तर दिखा देती है। आज किसी की मौत हो जाने पर नेता लोग शोक बाद में वयक्त करते है, उससे 10 गुना फास्ट स्पीड से वह उस पर राजनीति करते है।

नेता किसी भी मामले पर बयानबाजी करते समय यह पूरी तरह से भूल जाते है, कि वह जिस पद पर बैठे है- वहां वह एक समाज, एक राज्य और एक देश का प्रतिनिधित्व कर रहे है।

मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल – क्या है घटना…

मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल –

दरअसल पिछले दिनों अक्सर ये खबरें चर्चा का केन्द्र रही की भीड़ ने एक व्यक्ति को मौत के घाट सुला दिया। या फिर कुछ लोगों ने मिलकर एक महिला को बच्चा चोर समझकर बहुत मारा और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

ऐसी शर्मनाक घटनाओं पर सरकारे अपने प्रशासन पर शर्म करने से ज्याद दूसरे पर इल्ज़ाम लगाना जरूरी समझती है। इस दौरान कोई नेता इतिहास गिनाता है, तो कोई घटना को अपने संस्कारों पर आघात का कारण बताता है।

नोताओं के झोले से मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल –

  1. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने मॉब लिंचिंग में मारे गए रकबर के परिवार से बात करना या दुख वयक्त करने से ज्यादा तव्वजों राजनीति को देते हुए बयानों की बौछार की। उन्होंने कहा- कि पुलिस ने 6 किलोमीटर के दायरे के हॉस्पिटल तक जाने में करीब 6 घंटे का समय लिया, इसका मतलब पुलिस को रकबर की जान से ज्यादा इस केस को दर्ज करना ज्यादा जरूरी लगा… ये है मोदी का क्रूर इंडिया….

नेताओं के झोले से मॉब लिंचिंग

  1. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक वरिष्ट नेता होने के बाद भी उन्हें इस मामले की गंभीरता समझाने से ज्यादा उन्हें सही ठहराने का काम किया। उन्होंने कहा कि देखिये इस घटना पर देश का असली दर्द राहुल जी समझे और वो बता भी रहे है। किस तरह मोदी सरकार कानूनी नियमों का दिखावा करती है और लोगों की जान लेती है…

  1. आप नेता अल्का लाम्बा तो अपने शब्दों की मर्यादा को ही भूल बैठी। उन्होंने इस मामले पर ना गंभीर दिखाई ना ही अपने पद का मान रखा। अपने अपशब्दों में अल्का लाम्बा ने ट्वीट कर कहा- “ जॉब की जगह मॉब चर्चा में ला कर #RAWANDA #UGANDA में बैठा खुश तो वह बहुत हो रहा होगा ”।

नेताओं के झोले से मॉब लिंचिंग

  1. हमेशा बेहद सभ्यता भरे शब्दों के साथ अपनी बात रखनी वाली समाजवादी पार्टी की नेता व पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी ने मॉब लिंचिंग पर एक ऐसा सवाल पूछा, जो शायद आज हर भारतीय अपने मुंह में लिये घूम रहा है। आज हर कोई यह सवाल करना चाहता कि है आखिर क्या वो गाय जोकि घायल भी नहीं थी, वो ज्यादा जरूरी थी यो फिर वो रकबर खान। जो उस घटना के दौरान भीड़ द्वारा बुरी तरह से मारापीटा गया था। उनके ये उनके ट्वीट में बेहद अहम् थे कि माना कि गाय हमारी माता है, लेकिन क्या इंसानियत से भी की नाता है या नहीं।

नेताओं के झोले से मॉब लिंचिंग

मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल – इन सभी ट्वीट और अपशब्दों से भरी नेताओं की झोली को मार्मिकता के दायरे में रखना बिल्कुल गलत होगा। आज ये बेहद जरूरी है कि नेता जितना समय राजनीति के साथ बिताते है उतना वक्त वह अपने अंदर की मानवता को जगाने में लगाये तो शायद देश का विकास ज्यादा अच्छे से होगा।