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क्या है मॉब लिंचिंग मामला और कहाँ से आती है इतनी भीड़

मॉब लिंचिंग

मॉब लिंचिंग – आज कल अक्सर ये खबरें सुर्खियों का हिस्सा जरूर रहती है कि फलां जगह पर भीड़ ने एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला।

कभी गौरक्षा के नाम पर, तो कभी छेड़छाड… कभी चोरी, तो कभी धर्म के नाम पर… अक्सर किसी ना किसी वजहों से ये मॉब लिंचिंग के मामले सामने आते है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर है किया ये मॉब लिंचिंग और कहां से आती है इतनी भीड़? इन्हें कौन इक्कठा करता है?

हाल ही में देश में ऐसे कई मामले सुर्खियों में रहे है जहां भीड़ के चलते कई लोगों की मौत हुई है। जिसके पीछे झूठी अफवाहों का हाथ रहा। इन अफवाहों के चलते ही ये मॉब लिंचिंग की भीड़ कई लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है।

आखिर कहां से आती है इतनी भीड़

मॉब लिंचिंग

आखिर अचानक कैसे इतने सारे लोगों को एक जगह होने वाली घटना का पता चल जाता है, और ये लोग उस पर उपद्रव मचाने वहां पहुंच जाते है। एक रिसर्च के दौरान यह पाया गया कि यह एक समाजिक मनौविज्ञान घटना है, जिसके लिए पहले लोगों को किसी विषय पर जबरदस्ती भड़काया और उकसाया जाता है और फिर उसके इस गुस्से का इस्तेमाल किया जाता है।

आज इस तरह के मारपीट के सभी मुद्दों पर सबसे ज्यादा मदद अगर किसी चीज से मिलती है, तो वो है सोशल मीडिया। आज सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जिसकी मदद से चंद दिनों और घंटों में ही लोगों को एक जगह पर इक्कठा किया जा सकता है। लोगों को धर्म के नाम पर, गौरश्रा के नाम पर, मान-सम्मान के नाम पर और देश भकित के नाम पर इस कदर भड़काया जाता है, कि वह इस मॉब लिंचिंग भीड़ का हिस्सा बन जाते है। डॉक्टरों के अलावा कुछ लोगों का भी यही मानना है कि ये समाज विज्ञान और मनोविज्ञान तक पैथोलॉजी के तौर पर अनियमित घटनाओं के रूप में सीमित है।

मॉब लिंचिंग

मॉब लिंचिंग के चलते अब तक बहुत लोगों के जान जा चुकी है। अभी हाल ही में झारखंड़ में मॉब लिंचिंग के चलते एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यहां लोगों ने गौरक्षा के नाम पर एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया था। वहीं इसी खूनी खेल में असम के दो लोगों को भी मौत हो गई थी। इस मामले में भीड़ का कहना था कि दोनों युवक बच्चा चोर है। जबकि दोनों युवक मछ्ली पकड़ने के इरादें से वहां आये थे।

दादरी कांड तो आपको याद ही होगा, जब एकाएक अखलाक के घर हजार लोगों की भीड़ इक्कठा हो जाती है, और अखलाक के खुशहाल परिवार को चंद मिनटों में शक के बिनाह पर तबाह कर देती है।

ध्यान देने और कड़े नियम कानून की है जरूरत

इस मामले में बेहद जरूरी है कि लोगों जागरूक हो, वो किसी भी तरह के भड़काऊ सोशल वायरल मैसेज को आगे फॉरवर्ड ना करें। लोग धर्म के नाम पर अपनी सोच को जागरूक करे। भारत के इस डिजिटल होते दौर के जहां एक ओर फायदे बढ़ रहे है, वहीं दूसरी ओर इस मसले पर अज्ञानता के चलते हगांमें भी बढ़ रहे है।

“इस समस्या का एकमात्र समाधान है जागरूकता”