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भारत की सेना की जांबाजी के ये किस्‍से सुनकर हर भारतीय को होगा गर्व

सेना

आज अगर किसी भी देश के आम नागरिक चैन की नींद ले पाते हैं या बेफिक्र होकर घूम पाते हैं तो सारा श्रेय उसकी सेना को जाता है जो दिन-रात सरहद पर निगरानी रखकर अपने देश के लोगों को महफूज़ रखते हैं।

मुश्किल से मुश्किल हालात में भी वो हार नहीं  मानते और अपनी जान की परवाह किए बिना ही देश की रक्षा के लिए डटे रहते हैं। अपने देश की सुरक्षा के लिए जवानों ने कई ऑपरेशन किए जिसमें दुश्‍मन को मुंह की खानी पडी।

आज हम आपको अपने देश के कुछ ऐसे बड़े ऑपरेशन के बारे में बता रहे हैं जिसमें उनकी जांबाजी के किस्‍से सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।

तो चलिए जानते हैं सेना की जांबाजी के किस्‍सों के बारे में…

ऑपरेशन ब्‍लैक टोरनेडो

साल 2008 को नवंबर में हुआ ये ऑपरेशन भारतीय सेना के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया था। मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में एनएसजी के कमांडो हेलिकॉप्‍टर से नरीमन हाउस पहुंचे। ताज और ओबेरॉय होटल में भी सेना ने मोर्चा संभाल रखा था। इस ऑपरेशन में मेजर संदीप उन्‍नीकृष्‍णन और हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्‍ट को अपनी जान गंवानी पड़ी।

ऑपरेशन विजय

1999 को मई में पाकिस्‍तान की फौज ने गुपचुप तरीके से भारत की सीमा में घुसपैठ शुरु कर दी। सूचना मिलते ही थल सेना और वायु सेना ने मिलकर दुश्‍मनों को खदेड़ने का काम शुरु कर दिया। इसमें तकरीबन 35 हजार सैनिक  लगते थे। कई जांबाजों को वतन की रक्षा में अपनी जान भी गंवानी पड़ी।

ऑपरेशन कैक्‍टस

नवंबर, 1988 में मालदीव में एलटीई के लोगों के साथ मिलकर कुछ विद्रोहियों ने विरोध शुरु कर दिया। तब मालदीव ने भारत से मदद मांगी और पैराशूट रेजिमेंट के ज़रिए वीर जवान मालदीव में घुसे और इस खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया। कुछ ही घंटों में भारतीय सेना ने मालदीव को इस मुश्किल से बचा लिया।

ऑप्रेशन पवन

1987 में अक्‍टूबर में एलटीटीई से जाफना पेनिन्‍सुला को इंडियन पीस कीपिंग फोर्स ने छुड़ाया था। इससे पहले श्रीलंका भी इसका प्रयास कर चुकी थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई है। 2 हफ्ते तक सेना मैदान में डटी रही और जीतकर ही बाहर आई।

ऑपरेशन मेघदूत

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1984 में सियाचिन ग्‍लेशियर में पाकिस्‍तान ने अपनी फौज को भारत पर कब्‍जा करने भेजा था। अपने इस‍ हिस्‍से को छुड़ाने के लिए भारत ने ऑपरेशन मेघदूत चलाया और मुश्किल हालातों में भी पाक सेना को पीछे खदेड़ दिया। इस जंग में मेजर बन्‍ना सिंह को परमवीर चक्र से नवाजा गया। आपको बता दें कि सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है और अब भारतीय सेना ने इस जगह को पूरी तरह से अपने कब्‍जे में ले लिया है। भीषण ठंड और बर्फबारी में भी भारतीय सैनिक यहां डटे रहते हैं और अपने देश की रक्षा करते हैं।

दोस्‍तों, भारत की सेना की जांबाजी के तो और भी किस्‍से हैं लेकिन उन्‍हें एक सूत्र में पिरो पाना थोड़ा मुश्किल है इसलिए आज हमने आपको भारतीय सेना की जांबाजी के पांच ही किस्‍से बताए।

आपको भी इनके बारे में जानकर गर्व हो रहा है होगा लेकिन सरकार सेना में शहीदों को बस तमगे देकर ही सम्‍मानित करती है, उनके परिवार के लिए उसके पास कुछ नहीं है।