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चीन को लगा एक और झटका भारत से इस मामले में रह गया पीछे !

सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1

सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1  – खुद को बहुत ताकतवर समझने वाले चीन को पिछले कुछ दिनों से लगातार झटके मिल रहे हैं, पहले तो उससे दूसरा सबसे बड़े शेयर बाज़ार का रुतबा छिन गया, उसकी अर्थव्यवस्था की गति मंद हो गई और अब अमेरिका ने एनएसजी पर चीन को एक और बड़ा झटका दिया है.

चीन हमेशा से ही एनएसजी में भारत के शामिल करने का विरोध करता आया है, लेकिन अब अमेरिका ने भारत को सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (एसटीए-1) का दर्जा देकर चीन की बोलती बंद कर दी है.

अमेरिका के चीन से बिगड़ते रिशते भारत के लिए अच्छी खबर साबित हो रहा है.

सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (एसटीए-1) का दर्जा पाने के बाद भारत के लिए अब अमेरिका से अत्याधुनिक हथियारों और उनकी प्रौद्योगिकी हासिल करना आसान हो गया है. साथ ही भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा भी मिल गया है. इस घोषणा के साथ ही अमेरिका से भारत को ड्रोन विमानों समेत तमाम आधुनिक हथियारों के निर्यात पर से सरकारी नियंत्रण हटा लिया है.

सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 –

अमेरिका ने भारत को यह दर्जा देकर चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया है, क्योंकि वह हमेशा से एनएसजी में शामिल होने की भारत की मांग पर रोड़ा अटकाता रहा है, ऐसे में भारत को मिला यह दर्जा उसके मुंह पर जोरदार तमाचे की तरह है. अब भारत को वहीं सारी सुविधाएं मिलेंगी, जो एनएसजी में शामिल किसी देश को मिलती हैं. यह दर्जा पाने वाला भारत अब दुनिया का एकमात्र परमाणु संपन्न देश बन गया है.

अमेरिका द्वारा किसी भी देश को सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 का दर्जा तभी दिया जाता है जब वह चार प्रमुख संगठनों- परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), वासेनार व्यवस्था (डब्ल्यूए) और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप का सदस्य हो. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एसटीए-1 का दर्जा पाने की ये शर्त रखी थी. भारत ने एनएसजी को छोड़कर बाकी तीनों संगठनों की सदस्यता पहले ही हासिल कर ली थी, लेकिन चीन की वजह से भारत को एनएसजी की सदस्यता नहीं मिल पा रही थी. इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने भारत को अपना प्रमुख रक्षा साझेदार मानते हुए नियमों में ढील दी, जिसके बाद भारत को एसटीए-1 का दर्जा मिल गया.

दरअसल, सामरिक व्यापार प्राधिकरण- 1 (एसटीए-1) के तहत अमेरिका से बिना किसी लाइसेंस के अत्याधुनिक और संवेदनशील हथियारों के निर्यात की अनुमति देता है और भारत के लिए यह दर्जा बहुत फायदेमंद साबित होगा. दुनिया में सिर्फ 36 देश ही इस सूची में शामिल हैं और अब भारत 37वां देश बन गया है. इस लिस्ट में शामल होने के बाद भारत अब आसानी से अमेरिका से संवेदनशील हथियार खरीद पाएगा.

मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के लिए भी ये बड़ी उपलब्धि है क्योंकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए  अमेरिका से भारत के संबंध बहुत अच्छे हो गए हैं और जिसका फायदा भविष्य में भी होगा.