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जब ममता बनर्जी ने अटल जी के टेबल पर रख दी थी इंसानी हड्डियां और खोपड़ी!

अटल बिहारी वाजपेयी के किस्से

अटल बिहारी वाजपेयी के किस्से – अटल बिहारी वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं है, मगर उनसे जुड़े न जाने कितने किस्से हैं जो लोगों के जेहन में हमेशा ताज़ा रहेंगे.

एक ऐसा ही किस्सा है ममता बनर्जी से जुड़ा हुआ. ममता बनर्जी के अक्रामक रवैये से तो सभी वाकिफ हैं ही, मगर वाजपेयी जी के साथ उन्होंने जो किया वाकई बहुत अजीब था.

अटल बिहारी वाजपेयी के किस्से –

वाजपेयी जी के जीवन पर लिखी विजय त्रिवेदी की किताब ‘हार नहीं मानूंगा- एक अटल जीवन गाथा’ में अटल जी से जुड़े ढेर सारे रोचक किस्सों का जिक्र है. इन्हीं में से एक किस्सा ममता बनर्दी से जुड़ा हुआ है. 1999 में जब एनडीए की सरकार बनी तो उस वक़्त जयललिता और ममता बनर्जी ने सरकार को समर्थन तो दिया, मगर हमेशा  सरकार के लिए सिरदर्द बनीं रहीं. ममता जब रेलमंत्री थीं तो हर दिन कोई न कोई मुसीबत खड़ी हो जाती. एक बार पेट्रोल- डीजल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर ममता नाराज़ हो गईं. उस वक्त दीदी को मनाने जॉर्ज फर्नांडिस को कोलकाता भेजा गया. जॉर्ज शाम से पूरी रात तक इंतजार करते रहे, लेकिन ममता दीदी उनसे नहीं मिलीं. इसके बाद एक दिन अचानक प्रधानमंत्री वाजपेयी ममता दी के घर पहुंच गए. उस दिन ममता कोलकाता में नहीं थीं.

वाजपेयी ने ममता की मां के पैर छू लिए और उनकी मां से कहा, ‘आपकी बेटी बहुत शरारती है, बहुत तंग करती है.’ अटल जी की इस अदा ने ममता का दिल जीत लिया और उनका गुस्सा उतर गया. सबसे पहले वाजपेयी ने ही ममता का नाम ‘अग्नि गणना’रखा. वाजपेयी की इस पहल से ममता और वाजपेयी के बीच रिश्‍‍ते अच्छे हो गए. बाद में जब ममता ने तृणमूल कांग्रेस बनाई, तो एनडीए से हाथ मिला लिया.

एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक, जनवरी 2001 में पश्चिम बंगाल के हामिद नापुर के छोटा अंगाड़िया इलाके में हिंसा हो गईं. इसमें तृणमूल कांग्रेस के 11 समर्थक मारे गए थे. आरोप था कि सीपीएम के लोगों ने यह हिंसा की है. ममता बनर्जी बहुत ग़ुस्से में थीं. वे पश्चिम बंगाल में लेफ़्ट पार्टी की बुद्धदेब भट्टाचार्य की सरकार को बर्ख़ास्त करने की मांग कर रही थीं, लेकिन एनडीए सरकार ने उनकी बात नहीं सुनीं.

गुस्से में लाला पीली होकर ममता प्रधानमंत्री वाजपेयी से मिलने दिल्ली पहुंचीं और अपने झोले में से हडि्डयां और खोपड़ियां निकालने लगीं और एक-एक करके उन्हें वाजपेयी के सामने टेबल पर रखने लगीं तो वाजपेयी को यकायक समझ ही नहीं आया कि हो क्या रहा है. फिर वाजपेयी ने कहा कि ये तो वाकई गंभीर मामला है लेकिन राष्ट्रपति शासन लगाना तो गृह मंत्रालय का काम है, उनकी सिफ़ारिश पर ही तो कैबिनेट फ़ैसला करेगी, इसलिए आप आडवाणी जी से मिल लिए. फिर ममता गृहमंत्री आडवाणी से मिलीं. आडवाणी ने राष्ट्रपति शासन लगाने का भरोसा तो नहीं दिया, लेकिन सीबीआई जांच के आदेश दे दिए. ममता की इस हरकत पर भी गुस्सा होने या झल्लाने की बजाय वाजपेयी जी शांत रहे, इससे पता चलता है कि उनमें कितना धैर्य और सहनशक्ति थी.

ये है अटल बिहारी वाजपेयी के किस्से – एनडीए की सरकार के दौरान जिस तरह से जयललिता और ममता बनर्जी ने समर्थन के नाम पर अटल बिहारी की सरकार को परेशान किया, अगर कोई और प्रधानमंत्री होता तो सरकार कब की गिर गई होती, क्योंकि इन दो महिलाओं को झेलना आसानी नहीं था, मगर वाजपेयी जी ने पूरे 5 इन दोनों को झेला, जो कोई धैर्यवान नेता ही कर सकता है.