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याकूब मेमन हो या गुजरात के अपराधी सब है सजा के अधिकारी, उनको बचाना अपने आप में है अपराध

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हमारे यहाँ इन सबसे सहानुभूति रखने वाले और इनको बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है.

अगर ओसामा को भी यहाँ पकड़ा जाता तो वो ना जाने कितने सालों तक किसी जेल में आराम से रह रहा होता और अगर गलती से उसे फांसी की सजा सुना भी दी जाती तो भी उसके समर्थन में लोग खड़े हो जाते.

अक्सर ऐसे दुर्दांत हत्यारों और अपराधियों के समर्थन में खड़े होने वाले लोग मानवाधिकारों की दुहाई देते नज़र आते है.

इन तथाकथित मानवाधिकार के मसीहाओं की जुबान असली पीड़ितों के लिए शायद ही कभी खुली हो.

आपको लग रहा होगा कि अचानक ये सारी बातें क्यों ?

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