खेल

आखिर क्यों गोल्ड मेडल जीतने के बाद खिलाड़ी उसे अपने दांतो से दबाते हैं? आप भी जान लीजिये

गोल्ड मेडल दांतों तले दबाना – ओलंपिक के मुकाबले देखते समय क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि खिलाड़ी जब भी गोल्ड मेडल जीतते हैं तो वो हमेशा उस मेडल को अपने दांतों से जरूर काटते हैं?

ऐसा कभी नहीं होता कि वो ऐसा ना करते हो। ऐसा करने के पीछे कोई तो बड़ी वजह होगी जिसके कारण बड़े से बड़े खिलाड़ी भी अपने मेडल को दांत में दबाते हैं। ऐसा करने से उन्हें जीत का स्वाद मिलता है या इसके पीछे कुछ और ही वजह है? ये सब देखकर आपके दिमाग में भी कई सारे सवाल आते ही होंगे और आप ये सोचते होंगे कि आखिर खिलाड़ी मेडल को मुंह से क्यों दबाते हैं?

गोल्ड मेडल दांतों तले दबाना –

विजेताओं का यूं गोल्ड मेडल दांतों तले दबाना अब प्रथा की तरह बन गया है।

तो चलिए हम आपको इस प्रथा के बारे बता ही देते हैं कि आखिर ये कब से शुरू हुई और इसकी शुरुआत किसने की थी।

इस विचित्र परंपरा के तहत एथलीटों को अपने मेडल को मुंह से चखना पड़ता है। इस बारे में एक बहुत ही पुरानी और मशहूर कथा भी है। ऐसा कहा जाता है कि 19 वीं शताब्दी में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील, कनाडा और साउथ अफ्रीका के लोग एक बड़ा सा झुंड बनाकर सोना खोजने निकलते थे। सोने की खोज के दौरान उन्हें जो भी चमकीले पत्थर या कीमती धातु मिलती थी उसे वो अपने दांतों से दबाते थे। ऐसा माना जाता था कि अगर उस पत्थर पर दांतों के निशान बन गए तो वो असली सोना होगा। दरअसल सोना नरम होता है इसलिए उस पर निशान बनाकर उसकी जांच की जाती थी।

उस समय पर सोने की पहचान इस तरीके से ही की जाती थी और धीरे-धीरे यह एक प्रथा बन गई जो ओलंपिक तक पहुंच गई।

गोल्ड  मेडल जीतने के बाद उसे दांतो से काटने की परंपरा एथेंस ओलंपिक से शुरू हुई थी। उसके बाद साल 1912 में स्टॉकहोम समर ओलंपिक के बाद से ही ये परंपरा बंद हो गई थी। दरअसल स्टॉकहोम ओलम्पिक के बाद से खिलाड़ियों को शुद्ध सोने के मेडल देना बंद कर दिए थे।

1912 ओलंपिक से पहले इन मेडल्स में सौ प्रतिशत शुद्ध सोना मिला हुआ होता था।

लेकिन अब इसमें सोने के साथ-साथ चांदी की भी मिलावट होने लगी है। इसलिए खिलाड़ी मेडल को अपने दांतो से काटकर उसके असली या नकली होने की तस्कीद करते हैं इसलिए खिलाड़ी हमेशा ही मेडल जीतने के बाद सबसे पहले उसे अपने दांत से दबाते हैं।

गोल्ड मेडल दांतों तले दबाना – आज के समय में यह परंपरा एक ट्रेंड सी बन गई है या फिर इसे जीत का एक नया स्टाइल भी कहा जा सकता है। खिलाड़ी  मेडल को अपने दांत में दबाकर अपनी जीत जाहिर करते हैं और इस मोमेंट को फोटोग्राफर्स भी अपने कैमरे में कैद करने के लिए आतुर रहते हैं। आपको भी ये जानकारी पसंद आई तो इसे आगे जरूर शेयर करे।

Ayushi Sharma

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