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क्या खोने का नाम है प्यार?

प्रेम

प्रेम – अबके हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें.

दबे पांव आती खामोश सी कोई याद है, जो आँखों को भिगोए हर रात है. शायद यही प्यार है. कहते हैं इश्क में पाना क्या और खोना क्या? यहां कोई खोकर भी पा जाता है और पाकर भी खो देता है. एक तरह से ये आपकी राह भी है और मंज़िल भी. दर्द मिले या खुशी, प्यार का हर पल खुबसूरत होता है. प्रेम के इसी अहसास को हमें समझने की ज़रूरत है.

प्यार कभी खोता या अधूरा नहीं रहता. कभी साथ रहने पर भी प्यार नहीं होता, तो कहीं बिछड़ने में भी प्यार होता है. किसी से अलग होने के बाद हम उस इंसान से ज़्यादा उन यादों के लिए रोते हैं जिन्हें हम संजो सकते थे. हमारी अधूरी कहानियां अक्सर यादों में पूरी होती हैं. हम यादों के भंवर में सोचते रहते हैं कि हम साथ होते तो ऐसा हो जाता, ये कर लेते, वो कर लेते. प्यार में आज़ादी होती है, हां या ना का डर होता है, साथ रहने की तमन्ना होती है और एक-दूसरे में सारी दुनिया दिखने लगती है.

प्रेम

जहां मैं और तुम के बीच की दूरी खत्म होकर ‘हम’ में बदल जाए, वहीं प्यार जन्म लेता है. साथ रहते हुए कम्फ़र्टेबल महसूस करना बहुत ज़रूरी है. अगर एक-दूसरे पर भरोसा नहीं होगा तो प्यार भी नहीं रहेगा. प्यार शब्द में बड़ी ताकत है. इसके एहसास की बात ही कुछ अलग होती है. इस शब्द में इतनी ताकत होती है कि इसके होने या खोने पर व्यक्ति कभी लेखक तो कभी शायर बन जाता है. लैला-मजनू, हीर-रांझा की अमर प्रेम कथाएं दरअसल अधूरी नहीं थीं. वे तो एक-दूसरे के हो चुके थे.

हमारी हर पल ज़िंदगी बदलती रहती है, अगले ही पल का कोई भरोसा नहीं होता. इसलिए प्यार से उम्मीदें लगाने की बजाए, हमें बस उसे निभाते रहना चाहिए. वैसे भी प्यार आज या कल के लिए नहीं बल्कि हमेशा-हमेशा के लिए होता है. आज भी सच्चा प्यार ज़िन्दा है, मिसालें आज भी दी जातीं हैं, बस उन्हें ज़ाहिर करने के तरीके बदल चुके हैं. अपनी लव-स्टोरी की हैप्पी एंडिंग न होने पर भी कभी अफसोस नहीं करना चाहिए बल्कि अपनी कहानी को यादों के ज़रिए पूरा करते रहना चाहिए.

प्रेम

प्यार की कोई जाति नहीं होती. उसमें कोई शर्त नहीं होती. प्यार तो सिर्फ प्यार होता है. प्रेम में अगर कोई हज़ार चीज़ें देखता है तो वो बिजनेस कहलाने लगता है जैसा आजकल हो रहा है. दिक्कत ये है कि इस भावना को कई बार व्यक्ति खुद नहीं समझ पाता. वो समझ भी ले तो उसका परिवार और समाज नहीं समझ पाता. सब लोग प्यार की इस गहराई को नहीं समझ सकते. किसी भी तरह के लाभ-हानि और गुणा भाग से प्रेम दूर होता है. प्यार को समझने के लिए इससे ऊपर उठना पड़ता है. त्याग, बलिदान और समर्पण के लिए तैयार होना होता है.

आजतक  जो भी प्रेम कहानियां इतनी लोकप्रिय हुईं थीं, तो आखिर में उनमें ऐसा क्या था? प्रेम और सिर्फ प्रेम. प्रेम जब जीवन से बड़ा हो जाता है तब उसमें मौत भी जिंदगी सी लगने लगती है. प्यार तो एक खुबसूरत अहसास होता है जिसे साधारण लोग नहीं समझ पाते.

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