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एक ऐसा गाँव जहाँ पांच दिन कपड़े पहनना मना हैं.

भारत में कई धर्म, कई जाति के लोग एक साथ रहते हैं और इतनी विविधता होने पर ज़ाहिर हैं की कई तरह की परम्पराएं भी एक साथ चलती हैं.

लेकिन भारत के कई हिस्से में चली आ रही परम्पराएं इतनी पुरानी और दिलचस्प हैं कि उनके बारें में बात करना ज़रूरी हो जाता हैं.

हिमाचल के कुल्लू के एक गाँव में ऐसी ही एक अनोखी परंपरा आज भी कायम हैं जिसमे पति पत्नी पांच दिन तक हंसी-मज़ाक नहीं कर सकते साथ ही महिलाओं को इन पांच दिन में कपड़े पहनना मना हैं.

पूरी दुनिया में देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश में कुल्लू-मनाली नाम के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल में से एक स्थान  कुल्लू के गाँव पीणी में यह रोचक परंपरा आज भी चली आ रही हैं. कुल्लू के मणिघाटी में बसे इस गाँव में न जाने यह परंपरा कब से चल रही हैं लेकिन आज के आधुनिक वक़्त में भी वहां के लोग इसे पुरे रीति रिवाज़ से अब भी निर्वाह करते हैं.

इस परंपरा के अनुसार पीणी गाँव की महिलाओं द्वारा जब कपडे न पहनने की परंपरा का निर्वाह किया जाता हैं उस वक़्त सभी महिलाएं पांच दिन तक ऊन से बने पट्टू ओढ़ने पहनती हैं. इस साल भी इस परंपरा का पालन 17 अगस्त से 21 अगस्त तक किया गया हैं.

इन पांच दिन पीणी फाटी इलाके के दर्ज़नो गाँव के लोग इन पुरे पांच दिन दारु या ऐसे नशे का सेवन भी नहीं करते हैं.

पुरानी मान्यतों के अनुसार कहते हैं कि घोंड देवता जब पीणी आये थे उस वक़्त इस पुरे इलाक़े में राक्षसों का आतंक था. भादो सक्रांति के पहले दिन ही जब घोंड देवता ने इस गाँव में अपना कदम रखा तभी से उन राक्षसों का खात्मा होने लगा था. इसके बाद से ही इस गाँव के लोग के बीच यह अनोखी परंपरा की शुरुआत हो गयी और महिलायें कपड़ें की जगह पट्टू पहनने लगी.

गाँव वालो द्वारा माता भागासिद्ध और घोंड देवता की इन पांच दिन पूजा की जाती हैं साथ ही माता चामुंडा, माता कराण और देवता नारायण के करीब 25 चेले इन दिनों लोगो के आकर्षण का केंद्र होते हैं.

माता भागासिद्ध इस इलाक़े में इतनी पूजनीय हैं कि भक्तों ने उनका मंदिर बना कर रखा हैं और साल के इन पांच दिन पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती हैं.

मंदिर के पुजारी मोहर सिंग के अनुसार साल के यह पांच दिन इस इलाके के सभी लोग कड़ाई के साथ इन देव नियमों का पालन करते हैं और पूरी परंपरा को ध्यान में रख कर इसका निर्वाह करते हैं.

Sagar Shri Gupta

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