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तीन तलाक बिल को राज्यसभा में लटकाना क्यों बन सकता है कांग्रेस के गले की फांस

ट्रिपल तलाक बिल

ट्रिपल तलाक बिल – जैसा कि हर किसी को मालूम था कि राज्यसभा में तीन तलाक बिल अटकेगा… और वह अटक गया।

यह ट्रिपल तलाक बिल मोदी सरकार का सबसे महत्वकांक्षी बिल था और इस बिल का देश की मुस्लिम महिलाओं को भी बेसब्री से इंतजार था। लेकिन फिलहाल विपक्ष पर इसकी एक राय ना बनने के कारण ये राज्यसभा में अटक गया है और अभी ये बजट सत्र से पहले पास भी नहीं हो पाएगा।

कांग्रेस ने अटकाया बिल

इस बिल को कांग्रेस ने मुस्लिम विरोधी बताते हुए अटका दिया है। इस बिल को पास करने के लिए मोदी सरकार पिछले साल से काफी मेहनत कर रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे असंवैधानिक बताने के बाद मोदी के यूनियन कैबिनेट ने इस पर ड्राफ्ट बनाते हुए तीन तलाक को दंडनीय अपराध माना। दिसंबर के अंत में ये लोकसभा में भी पास हो गया। लेकिन साल की शुरुआत में ये राज्यसभा में अटक गया। अभी इस बिल पर विपक्ष और पक्ष के बीच में गतिरोध जारी है और देखना ये है कि ये बिल पास हो पाएगा कि नहीं।

लेकिन इस बिल के पास ना होने पर कहीं ना कहीं ये कांग्रेस की ही गले की फांस बन गया है। जहां कांग्रेस इस बिल को मुस्लिम विरोधी बता रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा इस बिल के अटकने से कांग्रेस को मुस्लिम महिलाओं की दुश्मन बता रही है।

अब इस बीच में खबरे आ रही हैं कि कोई शौहर अपनी बेगम को तीन तलाक देकर ये कह रहा है, कि मोदी सरकार मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। वहीं कोई तीन तलाक देकर अफनी पत्नी को छत से फेंक दे रहा है। अगर ऐसी ही खबरें आती रही तो मानना होगा कि सच में ट्रिपल तलाक बिल का अटकना कांग्रेस के गले की फांस बन सकता है।

ट्रिपल तलाक बिल

पहले भी कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ लाया था कानून

देश में तीन तलाक पर बहस 1985 से शुरू हुई थी। इंदौर की रहने वाली 62 साल की शाहबानो के 5 बच्चे थे जब उन्हें उनके पति ने 1978 में तलाक दे दिया था। पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए 1981 में सुप्रीम कोर्ट पहुंची। जहां ”सुप्रीम कोर्ट ने 1985 में सीआरपीसी की धारा-125 के तहत फैसला देते हुए गुजारा भत्ता देने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।”

लेकिन इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में मुस्लिमों ने जुलूस निकाला। देश में विरोध को देखते हुए 19मई 1986 को राजीव गांधी ने कानून द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स एक्ट बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया। इसी के बाद पूरे देश में कांग्रेस की छवि मुस्लिम महिला विरोधी की बन गई थी।

कांग्रेस फिर से राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल को अटका कर मुस्लिम महिलाओं को कुछ ऐसा ही संदेश दे रही है। इस बिल पर बहस करने के दौरान भाजपा का पूरा जोर इस बात को साबित करने पर रहा कि विपक्ष खासकर कांग्रेस महिला विरोधी है। बहस के दौरान सरकार के सभी बड़े मंत्री रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली और स्मृति ईरानी कांग्रेस पर महिला विरोधी होने का कटाक्ष करते हुए दिखे।

ट्रिपल तलाक बिल

जरूरी चीजों पर हो बात

ट्रिपल तलाक बिल पर बात करना जरूरी है। और इस पर भी बात करना जरूरी है कि क्यों कांग्रेस या विपक्ष इसके विरोध में है। साथ में ये भी सोचना जरूरी है कि हिंदुत्व का चेहरा बताने वाली भाजपा आखिर क्यों मुस्लिम महिलाओं की मदद के लिए इस बिल को उतारु है।

ये है पेंच

इस बिल का मुख्य पेंच ये है कि इसे दीवानी मामला ना मानकर फौजदारी मामलों में रखा गया है।

ट्रिपल तलाक बिल

दीवानी मामले और फौजदारी मामले

दीवानी मामलों में संपत्ति, क्रय-विक्रय, लेन-देन आदि से जड़े मामलों की सुनवाई होती है। इसके सारे मामलों की सुनवाई सिविल प्रोसिजर कोड के अंतर्गत होती है।

फैजदारी मामलों में अपराध से संबंधित विवादों की सुनवाई क्रिमिनल प्रोसिजर कोड और इंडियन पैनल कोड के तहत होती है। तो ये है पेंच। अगर ये बिल पास हो जाता है तो तीन तलाक दंडनीय अपराध होगा और अपराधी को क्रिमिनल कोड के तहत तीन साल की सजा होगी। ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि पति जेल चले जाएगा तो पत्नी को गुजारा भत्ता कौन देगा।

इस कारण ही विपक्ष और कांग्रेस इस बिल का विरोध कर रही है। लेकिन वो अपनी बात को भी सही से नहीं रख रही है। और ना ही इस पेंच के बदले कोई उपाय सुक्षा रही है।

अब देखना ये है कि ये ट्रिपल तलाक बिल कब तक पास होता है। बजट सत्र से पहले तो इसके पास होने की उम्मीद नहीं है। तो यूं कह सकते हैं कि फिलहाल तीन तलाक पर वेंट एंड वॉच की स्थिति है।