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वो ३ संत जिन्हें माना जाता है दतात्रेय के अवतार

Dattatreia

वो तीन अवतारों की बात यहा क्यों हो रही है?

जबकी दतात्रेय के अवतार के कई अवतारों से भारत की भूमि पर अवतरित होकर धरती को पावन किया है. हम केवल उन अवतारों के बारे मे बात करेंगे जो नज़दीक कालावधि में देखे गए थे. जिनका अस्तित्व लोगों को आज भी होने का अहसास कराते है.

वे ऐसे संत थे जिन्हों ने ज्ञान बाटते हुए अच्छी बातों की जनजागृति की और लोगों को अंधविश्वास से नहीं आत्मविश्वास पर अधिक भरोसा करने के लिए सिखाया.

उन संतों ने मंत्रोच्चारण, पोथी पुराण से अधिक आत्मीयता और नैतिकता को प्राधान्य देने की सीख दी.

कौन है वो ३ संत ?

श्री स्वामी समर्थ

स्वामी जी का जब भी कोई नाम लेता है तो उस भक्त को कभी अकेलापन महसूस नहीं होता है. स्वामी जी भक्तों को हमेशा कहते रहे है कि “डरों मत मै तुम्हारे पीठ पीछे हूँ”.

स्वामी जी कि बातें और आचरण सख्त था मगर उससे भी अधिक अपने भक्तों के लिए उनका दिल बहुत ही सरल था. वे अपने भक्तों को अच्छाई की सीख हमेशा देते थे. लोगों को कैसा होना चाहिए इसलिए जन जागृति करते थे.

स्वामी जी ने महाराष्ट्र में आने से पहले बड़ा लम्बा रास्ता तैय किया था. काशी में पहले प्रकट होने के बाद उन्होंने कोलकाता जाकर काली माता के दर्शन लिये. पश्चात गंगा तट से अनेक स्थानों का भ्रमण करके वे गोदावरी तट पर आए. वहां से हैदराबाद होते हुए बारह वर्षों तक वे मंगलवेढा रहे. तदुपरांत पंढरपुर, मोहोळ, सोलापुर मार्ग से अक्कलकोट आकर बस गए.

श्री स्वामी समर्थ ही नृसिंह सरस्वती हैं अर्थात दतात्रेय के अवतार हैं.

swami-samarth

स्वामी समर्थ (अक्कलकोट, महाराष्ट्र) : प्रकट काल : इ.स. १८५६-१८७८

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