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5 जानदार कवि जिन की देशभक्ति से भरी ये कविताएँ सीना चौड़ा कर देती हैं

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2)   श्री हरिवंश राय बच्चन:-

गिरिजा की इस उड़ान को परवाज़ देती हुयी प्रतीत होती है श्री हरिवंश राय बच्चन की ये सुन्दर कविता! हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव पट्टी में हुआ था। हरिवंश राय ने 1938 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी साहित्य में एम. ए किया व 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवक्ता रहे। अपनी काव्य-यात्रा के आरम्भिक दौर में आप ‘उमर ख़ैय्याम’  के जीवन-दर्शन से बहुत प्रभावित रहे और उनकी प्रसिद्ध कृति, ‘मधुशाला’ उमर ख़ैय्याम की रूबाइयों से प्रेरित होकर ही लिखी गई थी। मधुशाला को मंच पर अत्यधिक प्रसिद्धि मिली और बच्चन काव्य प्रेमियों के लोकप्रिय कवि बन गए।

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आज़ादी का गीत

हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।

चाँदी सोने हीरे मोती से सजती गुड़ियाँ।

इनसे आतंकित करने की बीत गई घड़ियाँ

इनसे सज धज बैठा करते जो हैं कठपुतले

हमने तोड़ अभी फेंकी हैं बेड़ी हथकड़ियाँ

परंपरा गत पुरखों की हमने जाग्रत की फिर से

उठा शीश पर रक्खा हमने हिम किरीट उज्जवल

हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।

चाँदी सोने हीरे मोती से सजवा छाते

जो अपने सिर धरवाते थे वे अब शरमाते

फूलकली बरसाने वाली टूट गई दुनिया

वज्रों के वाहन अंबर में निर्भय घहराते

इंद्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से ओटे

छत्र हमारा निर्मित करते साठ कोटि करतल

हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।

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