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नाग के फन पर बरसों से टिका है ये मंदिर

मंदिर जो नाग की फन पर टीका है

मंदिर जो नाग की फन पर टीका है – भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर धर्म और अपनी संस्कृति के प्रति लोगों का बहुत रुझान रहता है.

इतिहास के गर्भ में ऐसी कई बातें हैं जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं. हमारे यहाँ की कई अनोखी बातों की जानकारी के लिए विदेशी भी यहाँ शिक्षा लेने आते हैं. लोग यहाँ की किताबों को ले जाकर अपने देश में रिसर्च करते हैं.

भारत बहुत ही वृहद् है. इसे आसानी से समझ पाना मुश्किल है. इस देश की खासियत है कि ये वैज्ञानिक मापदंडों पर आधारित है. यहाँ की धार्मिक चीज़ें तथ्यहीन नहीं हैं. धर्म से जुडी कई बातें आम लोगों को हैरान कर देती हैं, लेकिन जब उसकी जानकारी मिलती है तो पता चलता है कि इसका वैज्ञानिक कारण भी है.

धर्म से ही जुड़ी एक ऐसी बात है जो आपको हैरान कर देगी. हमारे यहाँ का एक ऐसा मंदिर जो नाग की फन पर टीका है.

मंदिर जो नाग की फन पर टीका है

एक ऐसा प्रदेश जिसे देखने के लिए विदेशी लोगों का तांता लगा रहता है. भारत की वो नगरी जो राजपूतों की धरती कही जाती थी. वहीँ पर है ये अनोखा मंदिर. राजस्थान के माउंटआबू से 65 किलोमीटर दूर-वास्थानजी महादेव मंदिर,आबूराज है.

गुरुशिखर के करीब ये मंदिर 5,500 साल पुराना पौराणिक मंदिर उस समय से है जब यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का आवाहन किया गया था. दुनिया का ये इकलौता मंदिर है जहां भगवान विष्णु से पहले इस मंदिर में भगवान शंकर की पूजा होती है.

ये मंदिर जो नाग की फन पर टीका है. इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा होती रहती है.

आमतौर पर हर जगह भगवान् विष्णु की पूजा पहले की जाती है और शिव की बाद में, लेकिन यहाँ पर भगवान् शिव की आराधना पहले की जाती है.

ऐसी मान्यता है कि जो भी इस तीर्थ पर आकर कुछ भी मांगता है उसे भगवान शंकर के साथ भगवान विष्णु का संयुक्त आशीर्वाद मिलता है. यही वो जगह है जहां भगवान शंकर की पूजा पहले करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा होती है. अगर आप कई सालों से परेशान है और आपकी मदद के लिए कोई नहीं आ रहा तो आप इस मंदिर के दर्शन करने ज़रूर जाएं.

एक कथा के अनुसार इस जगह पर एक विशेष प्रयोजन हेतु सभी देवी देवता उपस्थित हुए थे.

हिन्दू धर्म में ये मान्यता है कि ३३ करोड़ देवी देवता हैं. यहाँ पर वो सभी 33 करोड़ देवी देवता एक साथ थे. ये इकलौता ऐसा मंदिर हैं जहाँ पर इतने देवी देवता एक साथ उपस्थित हुए थे. इन सभी को भगवान् शिव ने आमंत्रित किया था. भगवान् शिव का आमंत्रण पाकर सभी देवी देवता उनके यहाँ पधारें. तब से इस मंदिर को बहुत ही शक्तिशाली कहा जाता है.

तभी लोग कहते हैं कि अगर यहाँ कोई मन्नत लेकर आए तो ज़रूर पूरी होती है.

इस आमंत्रण में भगवान् विष्णु भी आमंत्रित थे. भगवान शिव ने उनकी खूब खातिर की. इतने ज्यादा देवी देवता के होने से उस जगह भीड़ बहुत बढ़ गई. ऐसे में धरती माँ के लिए एक ही जगह इतने सारे भगवान का भार उठाना मुश्किल हो रहा था तब भगवान् विष्णु ने अपने नागों से उस जगह को उठाने को कहा. धरती का माँ बोझ थोड़ा बंट गया.

ये है वो मंदिर जो नाग की फन पर टीका है – वैसे भारत में ऐसी कहानियों से पुस्तकें भरी हैं. आप जैसे जैसे इसमें खोते जाएंगे आपको आनंद की अनुभूति होगी.