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भगतसिंह का भारत ऐसा तो नहीं होता

bhagatsingh

4.  मिडिया के लिए

दुसरे सज्जन जो साम्प्रदायिक दंगो को भड़काने में विशेष हिस्सा लेते हैं वह हैं अखबार वाले. पत्रकारिता का व्यवसाय किसी समय बहुत ऊँचा समझा जाता था, आज बहुत ही गन्दा हो गया हैं. यह लोग मोटे-मोटे शीर्षक देकर लोगों की भावनाएं भड़काते हैं और परस्पर सिर फुटौवल करवाते हैं. एक-दो जगह नहीं बल्कि कई जगह सिर्फ इसलिए दंगे हुए क्योकि इन अखबारों ने बड़े उतेजना पूर्ण लेख लिखे हैं. ऐसे लेखक बहुत कम हैं जिनका ऐसे दिनों में भी दिल और दिमाग शांत रहा हो. अख़बारों का असली कर्तव्य शिक्षा देना, लोगों से संक्रिणता निकालना, साम्प्रदायिकता हटाना, परस्पर मेल-मिलाप कराना हैं लेकिन इन्होने अपना मुख्य कर्तव्य अज्ञानता फैलाना, साम्प्रदायिकता फैलाना, लड़ाई-झगड़े करवाना और राष्ट्रीयता को नष्ट करना बना लिया हैं. यही सब सोच कर आँख में खून के आंसू आते हैं कि “भारत बनेगा क्या?”

mediakeliye

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