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भगतसिंह का भारत ऐसा तो नहीं होता

bhagatsingh

3.  नेताओं के लिए

इन दंगों के पीछे साम्प्रदायिक नेताओं का हाथ हैं.इस समय हिंदुस्तान के नेताओं ने ऐसी लीद की हैं कि चुप ही भली. जो नेता स्वराज का बीड़ा उठाएं बैठे हैं वो समान राष्ट्रीयता और स्वराज-स्वराज कहते नहीं थकते और कुछ नेता सर छिपाएं बैठे हैं और कुछ इस धर्मान्धता के बहाव में है. ऐसे नेता जो साम्प्रदायिक आन्दोलनों में जा मिले हैं, जमीन खोदों तो सैकड़ों निकल आते हैं और जो नेता हृदय से सब का भला चाहते हैं वह बहुत कम हैं. ऐसा लग रहा हैं कि भारत के नेतृत्व का दिवाला पिट गया हैं.

netaokeliye

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