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लड़की को गलत इरादे से छूने वालों की खैर नहीं, हो सकती है 5 साल की जेल

सेक्सुअल हेरेस्मेंट

सेक्सुअल हेरेस्मेंट – तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर के विवाद के बाद ऐसा लगता है हमारे देश में भी #MeToo कैंपेन की बाढ़ सी आ गई है.

दरअसल, सच्चाई ये है कि हमारे देश में लगभग हर दूसरी महिला हैरसमेंट का शिकार होती है, मगर इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती और कई बार उन्हें इसे लेकर कानून की भी जानकारी नहीं होती.

अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी है, लेकिन आपको उसके कानूनी पहलुओं की भी जानकारी होनी चाहिए.

चलिए आपको बताते हैं यौन शोषण यानी सेक्सुअल हैरसमेंट को लेकर हमारे देश में क्या कानून है?

सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में विशाखा गाइडलाइंस जारी की थी जिसके तहत यौन शोषण के मामलो के लिए कानून बने थे. इसके बाद दिसंबर 2013 में प्रीवेंशन ऑफ सेक्सुअल हेरेस्मेंट ऑॅफ विमेन एट वर्कप्लेस एक्ट लागू किया गया था और साथ ही क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट ( अपराधी कानून अधिनियम) 2013 भी सेक्सुअल हेरेस्मेंट को लेकर काफी सख्त कानून है. इन कानूनों में सेक्सुअल हेरेस्मेंट के तहत आने वाले अलग-अलग अपराधों के हिसाब से सजा का दी जाती है.

इतने कानून होने के बाद भी अधिकर मामलों में महिलाओं को पता ही नहीं होता की सेक्सुअल हेरेस्मेंट का शिकार होने पर वो कैसे कानून की मदद ले सकती हैं। यदि हर महिला कानून का इस्तेमाल करने लगे तो यकीनन इस तरह के मामलों में कमी आएगी और अपराधियों के मन में सजा का खौफ बढ़ेगा, मगर उसके लिए सबसे पहले ज़रूरी है महिलाओं का जागरूक होना. चलिए आपको बताते हैं कि सेक्सुअल हैरसमेंट को लेकर कानून क्या कहता है.

  • अपराधी कानून अधिनियम 2013 के तहत किसी महिला को गलत ढंग से छूने या बिना उसकी मर्जी के छूने पर 1-5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.
  • किसी महिला की मर्जी या उसकी जानकारी के बिना उसपर नजर रखना, तस्वीरें लेना आईटी एक्ट 2000 के तहत कानूनी तौर पर 1-7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.
  • किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए इस्तेमाल में लाए शब्दों या गंदे इशारे करने के लिए अपराधी कानून अधिनियम 2013 के तहत अधिकतम 3 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है.
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत भी सेक्सुअल हेरेस्मेंट की शिकायत दर्ज की जा सकती है जिसके लिए अपराधी को 5 साल तक की सजा हो सकती है.

इतने कानून होने के बाद भी दिक्कत ये है कि अपराधियों को सजा नहीं मिल पा रही. महिलाओं द्वारा शिकायत दर्ज न करवाना तो एक वजह है ही, साथ ही अपने रसूख की वजह से अधिकतर आरोपी बच जाते हैं. कानून जरूर बने हैं, मगर उन्हें अमल में लाने के लिए जिस सख्ती और गंभीरता की ज़रूरत है हो हमारे देश में आज तक नहीं आई.

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