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पढ़ाई के लिए बच्चों को डांटना खतरे से खाली नहीं, इस बेटे ने जो किया पढ़कर रूह कांप जाएगी

बच्चों को डांटना

बच्चों को डांटना – पढ़ाई के लिए हर माता-पिता अपने बच्चे को डांटते हैं और कभी-कभार पीट भी देते हैं.

बच्चे ज़्यादा से ज़्यादा मा-बाप से रूठ जाते हैं या फिर कुछ देर रोकर शांत हो जाते हैं, मगर मध्यप्रदेश के एक बेटे ने जो किया उसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी और शायद लोग अपने ही बच्चों को डांटने से भी डरने लगेंगे.

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक 15 वर्षीय लड़के ने अपनी मां को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि उसने बेटे को पढ़ाई न करने पर डांटा था. बच्चों को डांटना मान को भारी पड़ा. सुनकर आपको भी विश्वास नहीं हो रहा होगा, मगर ये सच है.

एक वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, आरोपी नवीं में पढ़ता है. उसके पिता की मौत पहले ही हो चुकी है, घर में उसकी मां और एक छोटी बहन है, मां किसी तरह मज़दूरी करके घर चला रही थी.

एक दिन जब मां घर आई तो उसे पता चला कि बेटा पढ़ाई छोड़कर अपने एक रिश्तेदार के घर चला गया था. इसी शुक्रवार को फिर मां अपने बेटे को लेकर दोबारा घर पहुंची.

मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियो के मुताबिक, शायद महिला ने पढ़ाई न करने के लिए अपने बेटे को फटकार लगाई और हो सकता है लकड़ी की एक छड़ी से उसे मारा था, क्योंकि मौके से एक लकड़ी की छड़ी मिली है.

इस दौरान आरोपी ने अपनी मां के सिर और गर्दन पर लोहे की एक रॉड से हमला कर दिया. मां की मौके पर ही मौत हो गई. हैरानी की बात तो ये है कि मां को मारने के बाद भी उसे कोई शर्म और ग्लानी महसूस नही हुई तभी तो हत्या के बाद उसने खून से सने अपने कपड़े बदले और घर से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित अपने एक रिश्तेदार के घर भाग गया. गांव के लोगों ने पुलिस को घटना के बारे में बताया और शनिवार देर रात आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया. खून से सने उसके कपड़े और हत्या में इस्तेमाल लोहे की रॉड भी पुलिस को मिल चुकी है. लड़के को जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया गया जहां से उसे बाल सुधारगृह भेज दिया गया.

इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि बच्चों को डांटना कितना भयंकर हो सकता है. इंसान कितना संवेदनहीन होता जा रहा है, ज़रा-ज़रा सी बात पर इंसान को इतना गुस्सा आ जाता है कि वो अपनों की हत्या करने से भी नहीं झिझकता. अगर इसी तरह चलता रहा तो समाज एक दिन बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाएगा, जहां किसी रिश्ते के कोई मायने ही नहीं रह जाएंगे.