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पाकिस्तान ने यूएन में क्यों उछाला आरएसएस और सीएम योगी का नाम

आरएसएस और योगी का नाम यूएन में

आरएसएस और योगी का नाम यूएन में – जब दो देशों की तकरार होती है तो तुलना एक देश की दूसरे देश से होना लाजमी है ।

ज्यादा से ज्यादा आप राजधानियों में तुलना कर सकते है । लेकिन किसी देश के एक राज्य के मुख्यमंत्री को निशाना बनना क्या सही है  वो भी वैश्विक स्तर पर । ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि सयुंक्त राष्ट्र में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को विश्व स्तर पर फटकार लगाने पर, पाकिस्तान की इतना ज्यादा बौखला गया कि उसने आरएसएस और योगी का नाम यूएन में लिया, उत्तर प्रदेश के सीएम को ही आरोपी बना दिया ।

दरअसल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से आंतकवाद के मुद्दे पर खरी खोटी सुने के बाद पाकिस्तान के राज दूत साद वाराइच ने राइट टू रिप्लाई अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत के सबसे बड़े संघ आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को फासीवादी और आतंकवाद के प्रजनन स्थल बताया । पाकिस्तानी राजदूत के अनुसार आरएसएस एक फासीवाद केंद्र जिसके दारा भारत में धार्मिक श्रेष्ठता का दावा किया जाता है । साथ ही पाकिस्तान के राजदूत यहीं पर नहीं रुके । उन्होनें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम यूएन में उछालते हुए कहा कि भारत में खुलेआम हिंदुओं की धार्मिक श्रेष्ठता दावा करने वाला चरमपंथी हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े राज्य यूपी का मुख्यमंत्री बन जाता है ।

आरएसएस और योगी का नाम यूएन में

भारत में हिंदुओँ दारा अल्पसंख्यक मुस्लिमों और ईसाईओं की लिंचिग की जाती है और योगी आदित्यनाथ इसका समर्थन करते है ।

आरएसएस और योगी का नाम यूएन में

इसके अलावा पाकिस्तान के राजदूत ने असम में होने वाली एनआरसी का मुद्दा भी उठाया । लेकिन अब यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान के पास क्या कोई वाजिब मुद्दे नहीं थे जो उन्होनें इस तरह के मुद्दे उठाए जिनसे उनके देश का कोई लेना देना नहीं है. आरएसएस भारत का एक संगठन है आरएसएस में क्या कमियां है क्या नहीं ये यहां की जनता, सरकार और न्यायपालिका तय करेगी । इस पर पाकिस्तान को बोलने का हक किसने दिया । और साथ ही किसी देश के एक राज्य के सीएम का नाम वैश्विक स्तर पर बिना किसी सबूत के उछालना क्या सही है

पाकिस्तान के राजदूत साद वाराइच ने राइट टू रिप्लाई का अधिकार का इस्तेमाल किया था ।

आरएसएस और योगी का नाम यूएन में उठाने  के बदले उन्हें ऐसे मुद्दे उठाने चाहिए थे जिसे उनके देशवासियों को परेशानी हो रही हो, भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया क्योंकि आतंकवाद के कारण हर साल हमारे देश के कई जवान शहीद हो जाते है राज्य में शांति भंग होती है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में हाफिज सईद का नाम लिया क्योंकि उन्हें वैश्विक स्तर पर आतंकवादी घोषित किया जा चुका है । लेकिन पाकिस्तान आरएसएस या सीएम योगी आदित्यनाथ पर कुछ भी बोलने का हक कैसे रखता है क्या आरएसएस अपने कार्यकर्ताओँ पाकिस्तान में घुसपैठ के लिए भेजता है या फिर आरएसएस के कारण उनकी शांति भंग हो रही ह । पाकिस्तान के राजदूत के बेबुनियादी बातों से साफ जाहिर है कि पाकिस्तान के पास अपने पक्ष में कहने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि कही ना कही वो भी इस बात को भली भातिं जानते है कि आतंकवाद की जड़ कही ना कही उनके देश में ही है ।