संबंध

जब हो जाएं वो आपसे खफा-खफा

पार्टनर की अपेक्षाएं – रिलेशनशिप में अक्सर लोग अपने पार्टनर से छोटी-छोटी बातों को लेकर खफा हो जाते हैं.

ध्यान रहे कि दूसरों के सामने अपनी अपेक्षाओं को रखना कोई बुरी बात नहीं पर उसे यूहीं बहस का रूप दे देना गलत है.

वहीं, ऐसी किसी परिस्थिति में अगर दोनों ही पार्टनर एक जैसे होंगे तो शायद भावनात्मक रिश्ते की डोर इस भोझ को ज़्यादा दिन तक नहीं उठा पाएगी. यहां ज़रूरत है उन बातों को समझने की जो आपके रिश्ते को एक नया आयाम दे सकतीं हैं.

जब आपका दिमाग किसी परेशानी के चलते खराब हुआ होता है तब उसी दौरान पार्टनर की चाहतों और पार्टनर की अपेक्षाएं समझना काफी मुश्किल हो जाता है. ये तब और मुश्किल हो जाता है जब आपका पार्टनर अपनी परेशानी का दोष आप पर ही मढ़ने लगता है. ज्यादातार लोग पार्टनर से अपनी अपेक्षाओं का ज़िक्र करने के बजाए अपनी इच्छाओं एवं ज़रूरतों का हवाला देते हुए अपने पार्टनर के कार्यों की आलोचना करने लग जाते हैं. अगर पार्टनर कभी आपकी आलोचना करे तो उस पर नाराज़ होने या गुस्सा होने की बजाय उसकी की गई शिकायतों के पीछे छिपी ज़रूरतों को समझने की कोशिश करें.

आपका ये बर्ताव रिश्ते में आने वाली खटास को मिठास में बदल देगा.

वहीं, पार्टनर के सामने अपनी बातें रखने और उसके दिल में मौजूद बातें जानने का भी अपना एक तरीका होता है. जैसे कि आप अपने पार्टनर से कह सकते हैं कि मुझे पता है कि आज तुम परेशान हो. मुझे बताओ कि मैं तुम्हारी कैसे मदद करूं. अपने पार्टनर के मन में छिपी बात जानने के लिए सबसे पहले उससे संबंधित विषय पर अपनी बात रखें. उसके बाद पार्टनर से उसकी राय पूछें. इसी के साथ ये जानने की भी कोशिश करें कि उस परेशानी को लेकर जो आपके दिमाग में निष्कर्ष है उससे आपका पार्टनर कितना सहमत है. संबंधित विषय पर पार्टनर के नज़रिए पर भी गौर करें.

आप भावनात्मक वाक्यों के ज़रिए भी कई बातें जान सकते हैं जैसे कि आप कह सकते हैं कि जब मैं पार्टी में जाता हूँ तो तुम काफी अकेला फील करने लगती हो…ऐसा कह कर अपने विचारों को उसके समक्ष रखें और फिर उसकी बातों को सुनने के बाद अपनी आदतों में सुधार लाने के लिए तैयार हो जाएं. पार्टनर की ज़रूरतों को जानने को लेकर आपके भीतर रूचि और आग्रह का भाव दोनों होने चाहिए.

रिश्तों में जब शिकायतें होती हैं तो उनके पीछे की असल वजह प्यार, साहचर्य एवं सहयोग की अधूरी रह गई चाहते होती हैं. जब आपका पार्टनर आपसे कहे कि मैं चाहता हूँ या चाहती हूँ कि आप मेरे साथ कुछ और वक़्त गुज़ारा करें तो इनमें उलझने की बजाए समस्या की जड़ में जाकर उसका समाधान खोजने की कोशिश करें. इन सब बातों से ज़रूर ही उसे ख़ुशी मिलेगी.

ये भी ध्यान रखें कि अपने पार्टनर की अपेक्षाएं, पार्टनर की उन्हीं ज़रूरतों को पूरा करने की बात करें जिसमें आप दोनों को ख़ुशी मिले. इस मामले में आपको यथार्थवादी सोच को अपनाना चाहिए. इसके साथ ये भी याद रखें कि रिश्ते में छोटी से छोटी बातें भी मायने रखती हैं. सही संवाद के द्वारा ही एक-दूसरे की समस्याओं को समझा जा सकता है. वहीं, इन सब के बीच हमें धैर्य भी बनाए रखना चाहिए.

Devansh Tripathi

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