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एक खिलौने से पता चली बच्ची के रेप की कहानी

बच्ची के रेप की कहानी – एक औरत की उम्र चाहे  32  साल हो, 60 साल हो या फिर 21 साल या वो सिर्फ 6 महीने की एक मासूम बच्ची हो, समाज के लिए वो केवल एक औरत ही होती है ।

जिसका अस्तित्व सिर्फ उसके शरीर से है और हुनर, उसकी कला से नहीं ।

शायद इसलिए फर्क भी नहीं पड़ता कि रेप जिसका हुआ वो महिला वो बच्ची बोल भी सकती थी या नहीं, वो विकलांग ही क्यों ना हो देखने वाली की नजर तो सिर्फ उसके शरीर पर होती हैना ।

रेप केस हमारे समाज में इन दिनों किसी आम बात की तरह हो गए जो लोगों की नजर में अपराध तो है । पर जब तक वो उनके किसी करीबी के साथ नहीं होता ।उनके लिए वो केवल अखबार की सुर्खी है।

साल 2012 में एक मासूम सी 13 साल की बच्ची गहना ( काल्पनिक नाम )  के साथ रेप हुआ था जो मानसिक रुप से विकलांग थी ।

उस बच्ची को तो शायद आज भी पता नहीं होगा कि उस दिन उसके साथ क्या हुआ लेकिन उसके माता पिता आज भी उसके लिए इंसाफ की गुहार कर रहे है । भारतीय कानून के मुताबिक रेप पीड़िता को मुआवजे का प्रवाधान है और अगर रेप पीड़िता एक विकलांग हो तो मुआवाजा की रकम देना ओर भी जरुरी हो जाता है । लेकिन अफसोस की बात ये है कि 4 साल तक चले इस केस के बाद भी आज तक उस 13 साल की बच्ची के माता पिता को उसकी देख रेख के लिए मुआवजे की रकम मुहैया नहीं कराई गई है ।

 गहना मानसिक रुप से विकलांग है जिसका साल 2013 में जब वो केवल 13 साल की थी उसके भाई को घर पढ़ाने आने वाले ट्यूशन टीचर ने गहना को घर में अकेला देख उसका रेप किया और फिर वहां से फरार हो गया । गहना के माता पिता जब घर लौटे और बच्ची को खून में लतपत पाया तो घबराहट में उसे डॉक्टर के पास लेकर गए । जहां डॉक्टर ने उन्हें रेप के बारे में बताया । लेकिन क्योंकि गहना मानसिक रोगी थी और उसके माता – पिता के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया ।

बच्ची के रेप की कहानी में काफी मुश्किलों के बाद गहना की एफआई आर दर्ज की । पर इसके बाद भी गहना के माता पिता और पुलिस के लिए एक समस्या थी कि वो  गहना का बयान दर्ज कैसें कराएंगे । उस वक्त गहना के माता पिता की मदद करने वाले एक एनजीओ ने गहना का बयान एक गुड़िया की मदद से रिकॉर्ड कराया । उस बोलने वाली गुड़िया के सवालों के जवाब अपनी गुड़िया की मदद से दिए । और इसके बाद कुछ स्कैच बनाकर पूरी कहानी बताई । हालांकि गहना के माता पिता को अगर उस वक्त पता होता कि इस तरह के बच्चों के बयान दर्ज करने के लिए प्रशिक्षकों की सहायता ली जा सकती है । तो शायद उन्हें उस वक्त इतनी परेशानी नहीं उठानी पड़ती । पर इसमें कहीं न कहीं लापरवाही पुलिस की भी रही जिसने एफआईआर लिखने तक मना कर दिया था ।

ये है बच्ची के रेप की कहानी – और इतना सब होने के बावजूद भी वो विकलांग बच्ची आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है ।

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 17 विकलांग रेप पीड़िताओं में से केवल 5 को मुआवजे की रकम दी गई है । बच्ची को 2017 में कोर्ट ने 2 लाख के मुआवजे की रकम देने की घोषण भले ही कर दी थी । पर अब तक वो राशि उस तक पहुंच नहीं पाई है । पोक्सो और क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत विकलांगों को यौन हिंसा जैसे घिनौने अपराध से बचाने के लिए कई प्रवाधान लागू किए गए हैं । पर जमीन हकीकत देखने के बाद ये प्रवाधान केवल कागजों में बंद पड़े नजर आते है ।क्योंकि लोग तो इन कानूनों से अनजान है ।

Preeti Rajput

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