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‘मैं झूठ नही बोलता’- दसॉल्ट सीईओ

राफेल डील का मुद्दा

इन दिनों चुनावों के दौर में लगातार हो रही हो रही रैलियों में राफेल डील का मुद्दा लगातार जोर पकड़ रहा है और ऐसा भी नहीं है कि राफेल डील का मुद्दा अभी हाल ही में उठा हो।

दरअसल बीते साल से ही राफेल डील के मुद्दें को लेकर कांग्रेस और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार संसद से लेकर सड़कों तक राजनीति कर रहे हैं। लेकिन अब राफेल डील का मुद्दा देश में चल रही राजनैतिक गलियारों से विदेशों से जुड़े संबधों पर दस्तक देने लगा है। दरअसल राफेल डील मामले पर हो रही लगातार बयान बाजी पर फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट के सीईओ ने हाल ही में अपने तरीकें से प्रतिक्रिया जाहिर की हैं। दसॉल्ट के सीइओ ने राहुल के सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि”राफेल डील देश से हुई थी, नाकि किसी पार्टी से…”

राफेल डील का मुद्दा – आखिर क्या कुछ कहा दसॉल्ट सीइओ ने

राफेल डील का मुद्दा

सड़क से संसद और फिर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पहुंचे राफेल डील मामले पर हर दिन कोई ना कोई नया हंगामा सामने आता है। गौरतलब है कि कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में पूरी पार्टी लगातार विपक्ष यानि मोदी सरकार पर इस डील में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा रही है। अब इन्ही आरोपों पर फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने भारत की एक समाचार ऐजंसी को दिए अपने इंटरव्यू में राफेड डील पर उठ रहे सभी सवालों का साफ-साफ शब्दों में जवाब दिया है। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाये गए सभी आरोंपो को सिरे से खारिज कर दिया है।

दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने अपने इंटरव्यू में कहा कि “राहुल गांधी द्वारा लगाये गए सभी आरोप झूठे है। राहुल गांधी ने फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट और रिलाइंस के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर को लेकर जो भी कुछ बोला है, वह सिरे से निराधार है। राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि राफेल मामले को लेकर केन्द्र द्वारा जो भी जानकारियां दी गई है, वह सब बिल्कुल सही है, क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता..”

राफेल डील का मुद्दा

सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बताया कि उनके और कांग्रेस के बीच के संबध काफी पुराने हैं, और भारत और दसॉल्ट के बीच पहली डील साल 1953 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई थी। उन्होंने कहा कि भारत के साथ हुई हमारी डील किसी पार्टी से नही, बल्कि देश के साथ है और हम आगे भी लगातार भारत को फाइटर जैट मुहैया कराते रहेंगे।

साथ ही इस डील में लगाये गए बजट के आरोप “कि दसॉल्ट ने रिलाइंस को 284 करोंड़ रूपये मदद के लिए दिए” का खुलासा करते हुए दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि इस डील में सिर्फ रिलाइंस ने ही नहीं बल्कि ज्वॉइंट वेंचर ने पैसा लगाया है… और हमारे इंजीनियर ही इंडस्ट्रीयल पार्ट को लीड भी करेंगे। इससे रिलाइंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का अनुभव मिल जायेगा। उन्होंने कहा कि इस डील में 49 फीसदी पैसा फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट का है, और 51 फीसदी पैसा रिलाइंस कंपनी का है। राफेल डील में कुल 800 करोड़ रूपये का इन्वेस्ट होगा, जिसमें दोनों कंपनियां 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदार होंगी। साथ ही उन्होंने डील के दामों खुलासा करते हुए कहा कि यह एयरक्राफ्ट दोनों देशों के संबधों के चलते करीबन 9फीसदी सस्ता है। इसके साथ ही उन्होंने राफेल डील से जुड़े अन्य कई मुद्दों पर भी खुलासा किया।

राफेल डील का मुद्दा – दरअसल दसॉल्ट सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि 18 तैयार विमानों की जितनी कीमत है, और उसी दाम में 36 विमानों का सौदा किया गया। विमानों की संख्या दोगुनी होने से दाम दोगुने होने चाहिए थे , लेकिन यह दो सरकारों के बीच करार हुआ और कीमतें उन्होंने तय की। इसलिए हमें भी 9फीसदी कम दाम पर सौदा करना पड़ा।