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कोर्ट के सामने प्रेमी को छोड़ा, परिवार को चुना

लव-जिहाद

बीते कुछ सालों से लव-जिहाद के मामले अक्सर सुर्खियों में आकर्षण का केन्द्र बने रहे है।

लव-जिहाद के इन मुद्दों पर कई बार राजनीति भी हुई, कहीं किसी राजनेता ने इसे किसी की धर्म वापसी से जोड़ा, तो कहीं किसी राजनेता ने इसे मुस्लिम समाज की सोची समझी चाल बताया। हर बार किसी ना किसी व्यक्ति विशेष के चलते यह मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा।

आपकों लव-जिहाद का हादिया केस तो याद ही होगा, जिसमें हादिया एक हिन्दु लड़की थी और उसने अपना धर्म परिवर्तन कर एक मुस्लिम लड़के से शादी की थी। ये मुद्दों तब सुर्खियों में गहराया जब हादिया को उसके माता-पिता और सुरक्षाकर्मी दिल्ली जाने वाले विमान में चढ़ाने के लिए उसे जबरन ले गए। इस मामले में पति-पत्नी को धर्म के चलते ही अलग किया गया था। ठीक ऐसा ही मामला छत्तिसगढ़ से सामने आया, लेकिन इस मामले में लड़की की जगह लड़के नें हिन्दु धर्म को अपनाया और आर्य समाज मंदिर में में शादी की, लेकिन अब इब्राहिम सिद्दकी अपनी पत्नी अंजली को वापिस पाने के लिए कोर्ट में केस लड़ रहा है।

क्या है छत्तिसगढ़ की हादिया लव-जिहाद का पूरा मामला

लव-जिहाद

ये मामला छत्तिसगढ़ की हादिया उर्फ अंजली का है, जिसने इब्राहिम नाम के एक मुस्लिम लड़के से गत फरवरी माह में रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी। शादी के बाद दोनों ने अपनी शादी की बात किसी को नहीं बताई, लेकिन एक दिन उसकी पत्नी अंजली अपने माता-पिता से मिलने अपने घर गई, तो वहां से नहीं लौटी, जिसके बाद अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए इब्राहिम सिद्दकी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बिलासपुर कोर्ट ने इब्राहिम के मामले में सुनवाई करते हुए लड़की के परिवार जनों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। कोर्ट के इस फैसले से असंतुष्ट इब्राहिम सिद्दकी ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

लव-जिहाद

इब्राहिम सिद्दकी ने अपनी याचिका में गुहार लगाते हुए अपनी प्रेमिका को उसके माता-पिता के कब्जे से आजाद कराने की मांग की है। मामला कोर्ट में पहुंचा, जिसके बाद सुनवाई के दिन बीते सोमवार सुप्रीम कोर्ट में अंजली ने खुद गवाही दी। अंजली ने अपनी गवाही में कहा कि “इब्राहिम ने उसे बहला-फुसला कर उससे शादी की थी”।

अंजली ने अदालत में यह भी कहा कि “वह उसके साथ नहीं बल्कि अपने माता-पिता के साथ अपने घर पर रहना चाहती है” और ये भी कहा कि – “ना ही उसके माता-पिता ने उस पर कभी कोई पाबंदी लगाई है और ना ही जोर-जबरदस्ती से अपने कब्जे में रखा है”।

इब्राहिम ने अपनी दोनों याचिकाओं में अपनी और अपनी पत्नी की जान को अपने ससुराल पक्ष की ओर से जान का खतरा बताया है। हालांकि अंजली के बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इब्राहिम की याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया। आपको बता दे कि हाई कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में सीजेआई दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ में छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब मांगा था और याचिका के प्रति राज्य सरकार के वकील को जवाब देने के निर्देश भी दिये थे।

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