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मुंबई माफिया: बीते ज़माने में मुंबई पर राज करने वाले गैंगस्टर और माफिया डॉन

मुंबई सपनों का शहर

भारत की औद्योगिक राजधानी…

कोई राजा शक्तिशाली कब होता है, जब वो शक्ति के केंद्र को हथियाले. यही बात देश पर भी लागु होती है.

माफिया और अंडरवर्ल्ड का शहंशाह कौन होगा, वही जिसकी सल्तनत होगी मुंबई में.

ये आज की बात नहीं ये तब से हो रहा है जब मुंबई बम्बई या बॉम्बे हुआ करता था. व्यापर का केंद्र होने की वजह से यहाँ देश भर से लोग रोज़ी रोटी की तलाश में आते थे. हर क्षेत्र के लोगों को पनाह दी मुंबई ने और उनमें से कुछ ने माशूका बना लिया इस मुंबई को और राज़ किया बादशाह की तरह.

मुंबई ने देश को जहाँ सबसे बड़े उद्योगपति, फिल्म सितारे दिए वहीँ मुंबई में ही पनपा संगठित अपराध और पैदा हुए एक के बाद एक माफिया डॉन. मुंबई को आगे बढ़ाने वाले लोगों और मुंबई पर राज करने वाले इन डॉन दोनों ही दिलरुबा की तरह चाहते थे.

याकूब मेमन को फांसी होने जा रही है. टाइगर मेमन का भाई और मुंबई धमाकों का अभियुक्त इसी अवसर पर हम आपे लिए लाये है एक विशेष श्रृंखला.

इस श्रृंखला में आपको बताएँगे मुंबई के ऐसे ही माफिया डॉन और गैंगस्टर के बारे में जिनके खौफ से मुम्बई ही नहीं पूरा हिंदुस्तान काँपता था.
इनमे से कुछ थे व्यापारी जैसे तो कुछ थे जो बात से पहले बन्दूक चालते थे तो कुछ थे जिन्हें उनके चाहने वाले रॉबिनहुड की तरह मानते थे.

इन सबकी खास बात ये थी कि इनकी हिम्मत और ताकत का कोई जवाब नहीं था. ये सब के सब अपराधी तो है पर इनमें भी कुछ तो ख़ास है जो इनके बारे में हर कोई जानना चाहता है.

करीम लाला

मुंबई के शुरूआती दौर में मुंबई पर राज करने वाले तीन गैंगस्टर में से एक करीम लाला .

खतरनाक और बहादुर पठान गैंग का सरगना था. ये लोग अफ़ग़ानिस्तान से आये थे. लम्बी चौड़ी कद काठी और शेर सा जिगर.

अब्दुल करीम लाला कब मुंबई आया ये तो शायद उसको भी नहीं पता था . 7 फीट लम्बाई वाले करीम ने शुरुआत जुए के अड्डे से की फिर धीरे धीरे लोगों के झगडे निपटाना, जमीन खाली करवाने जैसे काम करने लगा.

लाला के पास थी ताकत पठानों की पर उस ताकत का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा था. करीम की ताकत बढ़ी जब उसने हाथ मिलाया मुंबई के पहले डॉन हाजी मस्तान के साथ. मस्तान का दिमाग और लाला की ताकत  दोनों का ही कोई सानी नहीं था.

हाजी मस्तान

मुंबई का पहला डॉन. ना जाने कितनी ही फ़िल्में और किताबें है मस्तान की जिंदगी पर. किसी किवदंती से कम नहीं है मस्तान की जिंदगी.

मस्तान हैदर मिर्ज़ा 8 साल की उम्र में अपने पिता के साथ 1934 में मुंबई आया था. बाप बेटे दिन रात मेहनत करके भी कुछ खास नहीं कमाते थे.

नन्हे मस्तान की आँखों में थे बड़े बड़े सपने. चमकदार कपडे और मुंबई की सड़कों पर दौड़ती चमचमाती मर्सिडीज़ के. 18 साल की उम्र में कूलीगिरी से शुरूआत करने वाला मस्तान धीरे धीरे तस्करी और अन्य गैरकानूनी धंधो की बदौलत मुंबई का सबसे शक्तिशाली अपराधी बन गया. मस्तान ही था वो जिसके लिए सबसे पहले डॉन शब्द का इस्तेमाल किया गया था.  

वरदराजन मुदलियार

वरदराजन मुदलियार उर्फ़ वरदा भाई. मुंबई की तमिल आबादी का मसीहा, उनका नेता. करीम लाला, हाजी मस्तान और वरदा इस तिकड़ी ने बहुत समय तक मुंबई पर राज किया.

इन तीनों की सबसे बड़ी बात ये थी की आपस में कोई खींचतान नहीं सब कुछ मिल जुल कर होता था. तमिल लोगों के लिए वरदा भाई किसी रॉबिनहुड से कम नहीं था. हर वक्त मदद के लिए तैयार.

पुलिस नेता, मिल मालिक या गुंडे सबसे बचाने की जिम्मेदारी ले रखी थी वरदा ने. जिस समय मस्तान मुंबई बंदरगाह पर कूली था उसी समय विक्टोरिया टर्मिनस पर एक और कूली बड़ा बनने के सपने देख रहा था.

बाशु दादा

दिमाग कम ताकत ज्यादा ऐसा था बाशु दादा. मुंबई में गुंडागर्दी का दूसरा नाम. उसका सबसे बड़ा हथियार उसकी ताकत थी. पहलवान जैसा बदन और वैसा ही खान पान बाशु दादा के खौफ से पूरा इलाका काँपता था.

एक छोटी सी गलती ने ना सिर्फ बाशु की ताकत को तोड़ दिया बल्कि उसकी इज्ज़त भी मिट्टी में मिला दी थी. किशोर दाऊद इब्राहीम से पंगा लिया बाशु ने और नतीजा ये हुआ कि बाशु को सब कुछ छोड़ कर भाग जाना हुआ.

श्रृंखला की आगे की कड़ियों में आपको बताएँगे पूरी कहानी.

बड़ा राजन

(बड़ा राजन के जीवन से प्रेरित होकर 1991 में मलयालम में अभिमन्यु फिल्म बनायीं गयी थी )

राजन नायर उर्फ़ बड़ा राजन.  एक योग्य और मेहनतकश आदमी को एक खूंखार गंस्टर बनाने के लिए ज़िम्मेदार थी एक छोटी सी चोरी.

राजन एक मेहनती आदमी था दिन भर मेहनत के बाद भी उसे बमुश्किल 30-40 रुपये ही मिलते थे, ऐसे में अपनी माशूका के जन्मदिन पर कुछ अच्छा तोहफा देने के लिए राजन ने अपनी फैक्ट्री से एक टाइपराइटर चुराया.

उसके बाद टाइप राइटर चोरी राजन का धंधा बन गया. पर एक दिन चोर बाज़ार में तफ्तीश करती पुलिस को पता चला और सीधा पहुँच गया जेल में. जेल से बहार निकलते ही राजन ने गोल्डन गैंग बनाया.

ये थे बीते ज़माने में मुंबई पर राज करने वाले गैंगस्टर और मुंबई माफिया डॉन, जिन्होंने शुरुआत की मुंबई में संगठित अपराध की.

अगली कड़ी में मिलायेंगे नए ज़माने के अंडर वर्ल्ड और उसके सरगना से…

जाइये दहशतगर्दों की जिंदगी के कुछ सच कुछ कहानियां

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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