धर्म और भाग्य

दिल्ली में दंगे हुए तो यह धर्म पूरी तरह से हो जायेगा खत्म, नहीं रहेगा इसका इतिहास में भी नाम

दिल्ली के अंदर कई सालों के बाद इस तरीके के दंगे भड़के कि जिनके अंदर 45 से ज्यादा लोग मरते हुए नजर आ रहे हैं. मरने वालों का आंकड़ा निश्चित रूप से 50 को छूता हुआ नजर आ सकता है. अभी तो सरकार की तरफ से या किसी भी एजेंसी ने मरने वालों के धर्म और नाम को जाहिर नहीं किया है. सरकार का यह कदम सही भी ठहराया जा सकता है क्योंकि सरकार नहीं चाहती है कि किसी भी तरीके की लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़के या फिर वह नाम को देखकर गलत कदम उठाते हुए नजर आए.

दिल्ली के अंदर जब दंगे भड़के

दिल्ली के अंदर जब दंगे भड़के तो उसके बाद पूरी तरीके से लोग इंसानियत को भूल चुके थे. सड़क पर जो भी इंसान अपने का काम करके घर जा रहा था उसको पकड़ कर मार दिया गया है. मरने वाले लोगों में अधिकतर लोग ऐसे ही हैं जो काम खत्म करके अपने घरों को वापस लौट रहे थे. दिल्ली का उत्तर पूर्वी इलाका बेहद बदहाल स्थिति में शुरू से रहा है. यहां के सांसद और विधायकों को कभी भी यहां की स्थिति को सही करने के लिए सड़क पर आते हुए नहीं देखा है. इस दिल्ली के अंदर ना तो अभी तक मेट्रो पूरी तरह से आई है और जहां पर दंगे भड़के हैं वहां पर लोग आज भी सड़कों पर साइकिल लेकर काम पर जाते हुए नजर आते हैं.

यह धर्म पूरी तरह से हो जायेगा खत्म

यहां के लोग गरीबी स्तर से भी नीचे जीवन जीने को मजबूर हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली के इस इलाके में अगर दंगे भड़के हैं तो सबसे अधिक नुकसान किसका हुआ है और अगर आज दंगे भड़के तो दिल्ली से कौन सा धर्म गायब होता हुआ नजर आ जाएगा?

तो आपको बता दें कि अगर दिल्ली में दंगे भड़के तो ऐसे में इंसानियत धर्म पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा और इतिहास में कभी भी इसका नाम सामने नहीं आ पाएगा. साथ ही साथ दंगों में जो लोग मरेंगे उनका जात और धर्म से किसी भी तरीके का संबंध नहीं होगा, यह लोग वह होंगे जो हर रोज काम पर जाते हैं और अपने परिवार के लिए 100 से ₹200 कमा कर लाते हैं.

दिल्ली के अंदर अगर दंगे हुए तो उनके अंदर दंगाई या उपद्रवी लोग बिल्कुल भी नहीं जान गवाएँगे बल्कि मासूम लोग जो या तो फलों की रेडी लगाते हैं या फिर रिक्शा चलाते हैं या फिर वह लोग जो जींस सिलने का काम करते हैं ऐसे लोगों को मार दिया जाएगा.

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Chandra Kant S

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