ENG | HINDI

आजकल के युवा नौकरी नहीं बल्कि खुद का ठेला लगाने में दिखा रहे हैं दिलचस्पी

खुद का ठेला

खुद का ठेला – आजकल पढ़ाई के बाद भी लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है.

अगर किसी को नौकरी मिल भी जाती है तो उसे कुछ ही महीनों में उसे छोड़ना पड़ता है, क्योंकि उससे कम पैसे पर कंपनी किसी नए व्यक्ति को रख लेती है. अब या तो आप कम सैलरी पर नौकरी करें या फिर छोड़ दें.

भारत में नौकरी की ऐसी मार पड़ी है कि बड़े से बड़े लोगों को आज जॉबलेस देखा जा सकता है.

पहले लोग नौकरी मिलने के लिए बहुत कोशिश करते थे, लेकिन अब जब नौकरी की ऐसी मार पड़ी है, तो आज के युवा नौकरी के सपने देखना भूल गए हैं.

उन्हें ऐसा लगता है कि अपना कोई काम हो. भले ही दो पैसे कम मिले, लेकिन किसी और के हुक्म पर नाचना और पूरे महीने के बाद पेट भर भी खाना न मिले ये नहीं चलेगा.

भारत में जब से नई सरकार बनी है, लाखों लोगों की जॉब गई है. ये सरकार कुछ ऐसी है कि लोगों का जॉब छीनकर उन्हें सड़क पर खुद का ठेला लगाने की सलाह देती है.

दुनिया की बाकी सरकार युवाओं के लिए रोज़गार देते हैं, लेकिन ये सरकार हर युवा से ये कहती है कि पढ़ाई के बाद अगर जॉब नहीं मिल रहा है तो सड़क पर खुद का ठेला लगाकर जलेबी और पकौड़े बेचो.

वैसे भी अब नौकरी की इस तरह की मार पड़ी है की सच में आजकल के युवा सडक पर खुद का ठेला लगाना शुरू कर दिए हैं.

मुंबई के रेपुटेड कॉलेज से पढ़ाई के बाद सोम ने अचानक से जब अपने ही एरिया में वडा-पाव का ठेला लगा लिया तो उनके माता-पिता को बहुत तकलीफ हुई. उन्हें ऐसा लगा की इतनी पढ़ाई के बाद भी लड़का इस नौकरी को करके इज्ज़त पर दाग लगा रहा है.

जब हमने सोम से बात की तो पता चला कि मार्किट में उन्हें १० हज़ार की जॉब भी नहीं मिल रही है.

ऐसे में हाथ पर हाथ रखे बैठने से तो अच्छा है कि अपना ही व्यवसाय शुरू किया जाय.

यही सोचकर सोम नें खुद का ठेला लगाना शुरू किया. आज लगभर सोम को ६ महीने से ज्यादा का समय हो चूका है. उन्हें इस बिज़नस में काफी फायदा भी हुआ है. सोम जैसे और भी बहुत से लोग हैं जो नौकरी छोड़कर अब अपनी पसंद का काम कर रहे हैं. उन्हें अपने मन का खुद का ठेला लगाना मंज़ूर है.

ये एक तरह से अच्छी बात भी है. नौकरी में आज संतुलन और पैसा दोनों ही नहीं है. ऐसे में जीवन को चलाने के लिए खुद का कुछ करना ही बेहतर है.

हर युवा अगर समय से पहले इसे जान ले, तो उसे परेशानी नहीं होगी. उसे अपने जीवन का लक्ष्य मिल जाएगा.

बिना डिप्रेशन में गए ही वो अपनी लाइफ के फैसले ले सकेगा. वो अपने जीवन को बेहतर बना सकेगा. इतना ही नहीं कल को अपना बिज़नस बढ़ाकर वो और लोगों को भी नौकरी दे सकेगा.

युवाओं का इस तरह से खुद का ठेला लगाने का कदम उठाना सच में काबिले तारीफ है, लेकिन इससे भविष्य में एक सबसे बड़ी समस्य खड़ी हो सकती है. जब सभी लोग ठेला ही लगाएंगे तो देश के बाकी पदों को कौन संभालेगा?