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निकाह से हलाला रोकने का है दम – कहानी समीना बीबी की !

समीना बीबी

समीना बीबी – इसे प्रथा और कुप्रथा कहने का हक तो केवल अदालत का है, लेकिन हम किसी भी मायने में इसे प्रथा का नाम नहीं दे सकते है।

ये केवल आपके या हमारे विचार नहीं है, बल्कि ये ‘तीन तलाक’ और ‘हलाला’ जैसे फरमानों का वो खोफ है जिसने मुस्लिम महिलाओं के दिल में उनकी आस्था तक को हिला दिया है। तीन तलाक के मात्र तीन शब्द चन्द लम्हों में एक लड़की की किस्मत का आईना बन जाते है। कुछ ऐसी ही दर्द भरी दास्तां है समीना बीबी की, जिन्होंने इन तीन शब्दों की मार दो बार झेली और तीसरी बार जब फिर से निकाह की बारी आयी तो उन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठायी।

समीना बीबी

शायर से लेकर डॉ समीना के इंसाफ की कानूनी जंग

किसी हिंदू के साथ सात फेरे ले लूंगी, लेकिन तीसरा निकाह नहीं करूंगी… ये कोई फिल्मी डायलॉग नहीं है, बल्कि ये समीना का वो खौफ है जो उन्हें अपने दो तलाकों के बाद डर के रूप में मिला। समीना बीबी एक शायर थी, वह नज़्में लिखा करती थी। लेकिन पहली दफा 8 पन्नों के खत से मिले तलाक ने उन्हें डॉ. समीना बना दिया। इतने पर ही इनकी जिंन्दगी के दर्द की दास्तांन नहीं रूकी बल्कि इसके बाद जब दूसरी बार इन्हें तलाक मिला, वो था मॉडन जमाने का मॉडन तलाक…. फोन पर… 15 दिन के अपने बेटे को गोद में लिए बैठी समीना को एक फोन आया। समीना ने फोन उठाया और दूसरी तरफ से आवाज़ आयी… तलाक…तलाक…तलाक…

समीना बीबी

इसके बाद शुरू हुई समीना की तलाकी जंग, जिस पर खुलासा करते हुए समीना बीबी ने तीन तलाक को ‘मौलानाओं की साजिश’ का नाम दिया। समीना बीबी ने बताया कि किस तरह ये मौलाना ‘हलाला’ जैसी एक रात की परपंराओं के नाम पर ‘तीन तलाक’ करवाते है। मौलानाओं की साजिश का स्याह सच सामने रखते हुए उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर इन दोनों मसलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की। समीना बीबी ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि किस तरह हलाला वह ‘लालच’ है जो तीन तलाक को बनाये रखने के लिए मौलानाओं को मजबूर करता है।

समीना बीबी ने अपने दोनों निकाह को मज़ाक बताय़ा है, जिसमें पहले शौहर ने एक दिन मुशायरे में उन्हें देखा और उनके परिवार पर दबाव बना उनसे साल 1999 में निकाह कर लिया। पांच साल और दो बच्चों की परवरिश से पल्ला झाड़ और दहेज के लालच में 14 जून 2004 को समीना बीबी को उसके पहले शौहर ने खत के जरिये तलाक दे दिया। इस हादसे के बाद दो बेटों की मां समीना दिल्ली आयी और पढ़ाई कर डॉ. समीना बनी। इसके बाद उन्होंने प्रॉप्रटी के काम में भी हाथ डाला, जहां उनकी मुलाकात अपने दूसरे शौहर से हुई। परिवार के दबाव और बच्चों के भविष्य के लिए समीना बीबी ने एक बार फिर निकाह नाम का समझौता किया। शौहर ने पहले नए मकान के नाम पर समीना से एक बड़ी रकम वसूली और जब लगने लगा अब और पैसे नहीं मिल सकते, तो जाने की जहमत भी नहीं उठाई और फोन पर ही तलाक दे दिया।

समीना बीबी

क्या है तलाक और हलाला का नाता

समीना के उठाये मुद्दों में हलाला अहम् मसला रहा है। समीना बीबी कहती है कि अगर 100 तलाक होते है तो उसमें 20 ऐसे होते है। जिसमें शौहर मौलाना के पास जाकर कहते है कि गुस्से में या फिर शराब के नशे में तलाक दे दिया, बीबी वापस चाहिये।

यहां शुरू होती है मौलानाओं की धंधेबाजी और वो बिना समय गवाये झट से कह देते है अब तो तलाक हो गया, और अब हलाला ही एक मात्र उपाय है। ज्यादातर मसलों में हलाला परिवार में कोई नहीं करवाना चाहता, फिर मौलाना परेशानी का हल निकालते है और उनके अपने एजेंट होते है जो इसे पूरा करते है। मौलानाओं इस तीन तलाक की आड़ में अपना हलाला बिजनेस चलाते है।

हलाला रस्म के मुताबिक गलती शौहर की लेकिन सजा बीवी को। अपने पति के पास वापस जाने के लिए पत्नी को हलाला जैसी घिनौनी रात का सामना करना पड़ता है, जिसके मुताबिक पत्नी को एक रात किसी गैर मर्द के साथ हमबिस्तर बनना पड़ता है।

समीना बीबी एक ऐसा नाम है जिन्होंने ना सिर्फ अपनी अकेले की लड़ाई लड़ी बल्कि अपनी कौम की अन्य़ कई समीनाओं को भी इंसाफ दिलाया। आज तीन तलाक और बहु विवाह जैसे मसलों पर तो कोर्ट ने रोक लगा दी है। और साथ ही इनके कुछ नियम भी लागू हो चुके है। लेकिन आज भी हलाला जैसा यह घिनौनी कुप्रथा महिलाओं के लिए जीते जी मौत का फंदा बने जारी है। समीना बीबी ने आज एक नई और सक्षम पहचान तो हासिल कर ली है, लेकिन इन हादसों ने शायर समीना से उनका कलम कही छीन लिया है। आज उनका खुद का जीवन एक शायर की शायरी में सिमट कर रह गया है…. ‘एक चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला’।