जीवन शैली

इन हालातों में माफ ना करना होता है ज्यादा अच्छा !

ज़िदंगी चलते रहने का नाम है। कईं बार ज़िदंगी में ऐसे हालात आते हैं, जब आपको कुछ लोगों को माफ कर आगे बढ़ना पड़ता है जो कि ग़लत भी नहीं है।

ज़िदंगी में आगे बढ़ने के लिए पुरानी बातों को भूलना ज़रूरी है और पुरानी बातें भूलने के लिए, माफ करना बहुत ज़रूरी है लेकिन कईं बार माफ ना करना भी बहुत ज़रूरी होता है।

कईं बार माफ ना करना किसी और के लिए नहीं, बल्कि आपके खुद के लिए बहुत ज़रूरी होता है।

आइए आपको बताते हैं कि किन हालातों में माफ ना करना ज्यादा अच्छा होता है।

  • जब सामने वाला बार-बार गलती दोहरा रहा हो- अगर आप एक इंसान को किसी गलती के लिए बार-बार माफ कर रहे हैं लेकिन उसके बाद भी वो वही गलती कर रहा है तो आप उसे बार-बार माफ कर अपने साथ गलत कर रहे हैं इसलिए ऐसा ना करें। अगर आपको महसूस हो रहा है कि आपके बार-बार माफ करने के बाद भी वो इंसान वही गलती कर रहा है तो मतलब कि वो ये जानबूझ कर कर रहा है। ऐसे में वो इंसान आपकी ज़िदंगी में कितनी भी अहमियत क्यो ना रखता हो, आपको उसे माफ नहीं करना चाहिए।
  • आप को कैसा महसूस हो रहा है, इससे उसे फर्क नहीं पड़ता- कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाता है, ऐसे में अगर आप अपने रिश्ते को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, अपनी ग़लती ना होते हुए भी बार-बार झुकने को तैयार है लेकिन फिर भी सामने वाले इंसान को इस बात से फर्क ही नहीं पड़ रहा कि आपको क्या महसूस हो रहा है तो ज़रा रूकिए और सोचिए, कि क्या आप सही कर रहे हैं?

  • भरोसा बार-बार टूट रहा है- जब कोई इंसान बार-बार आपका भरोसा तोड़े और आपको ऐसा महसूस हो कि जिस बुनियाद पर ये रिश्ता टिका है मानो वो ही हिल सी रही है तो माफी की भावना को छोड़ देना ही बेहतर होता है।

  • अपने आत्म-सम्मान को ऊपर रखें- आत्म-सम्मान और ईगो के बीच एक बहुत ही महीन रेखा होती है लेकिन इसकी हिफाज़त करना बहुत ज़रूरी है। किसी को भी अपने आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाने पर माफ ना करें।

  • क्या सही है और क्या गलत- कईं बार रिश्तों में हम सही और गलत को नज़रअंदाज़ कर रिश्ते निभाते रहते हैं लेकिन कईं बार रिश्तों में ये याद रखना भी बहुत ज़रूरी होता है कि क्या सही है और क्या गलत, याद रखिए किसी ग़लत बात को सिर्फ इसलिए माफ करना क्योकि वो आपके किसी अपने ने की है, पूरी तरह से ग़लत है।

हम बचपन से सुनते आए हैं, पढ़ते आए हैं, कि सज़ा देने वाले से बड़ा माफ करने वाला होता है, जो कि ग़लत भी नहीं है। लेकिन किसी को माफ करने की भी कुछ शर्ते, कुछ हदें होती है। अगर आप इन शर्तों को इग्नोर कर, इन हदों को पार कर रहे हैं तो आप अपने साथ ग़लत कर रहे हैं। इससे सिर्फ आपको, आपके भरोसा, आत्मविश्वास  और आत्म-सम्मान को नुकसान हो रहा है और किसी को नहीं, इसलिए माफ करें लेकिन ये भी याद रखें, कि हालातों में माफ ना करना ज्यादा अच्छा होता है।

Deepika Bhatnagar

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