धर्म और भाग्य

साल में दो बार क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का त्यौहार, इसकी वजह नहीं जानते होंगे आप

नवरात्रि का त्यौहार, यानी माता की भक्ति के वो नौ दिन जब सभी देवी मां की भक्ति में तल्लीन हो जाते हैं और पूरी श्रध्दा के साथ मां की उपासना कर उनसे मनचाही मुराद पूरी करने की दुआ मांगते हैं।

यूं तो मां की भक्ति करने के लिए, उनकी उपासना करने के लिए पूरी ज़िदंगी कम है लेकिन फिर भी ऐसा माना जाता है कि साल में दो बार आने वाले नवरात्रि के इन नौ दिनों में भक्तों पर मां की विशेष कृपा होती है।

आप सभी इस बात से भी परिचित होंगे कि नवरात्रि साल में एक बार नहीं बल्कि दो बार मनाए जाते हैं।

अश्विना नवरात्रि जो सर्दी की शुरुआत में होती है (सितंबर और अक्टूबर के बीच) और चैत्र नवरात्रि  जो गर्मी की शुरुआत (मार्च और अप्रैल के बीच ) होती है। सभी भक्त गण इन दौरान पूरी श्रध्दा और भक्ति के साथ मां की आराधना करते हैं, उपवास रखते हैं और अष्टमी/नवमी के दिन कन्या भोज करवाते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल में दो बार नवरात्रि मनाने के पीछे क्या वजह है ?

मै जानती हूं कि आप में से ज्यादातर लोग इस बात से अनभिज्ञ होंगे। बता दें कि नवरात्रि का उत्सव साल में दो बार मनाने की पीछे आध्यात्मिक, प्राकृतिक और पौराणिक वजहें हैं। जी हां, कईं ऐसी वजहें हैं जिनके चलते साल में दो बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है।

अगर प्राकतिक आधार पर बात की जाएं तो नवरात्रि का त्यौहार दोनों ही बार मौसम परिवर्तन के समय मनाया जाता है।  ग्रीष्म और सर्दियों की शुरुआत से पहले, प्रकृति एक बड़े परिवर्तन से गुज़रती हैं और प्रकृति मां की इसी शक्ति के जश्न के तौर पर नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। प्रकृति भी मानो इस दोनों ही वक्त पर नवरात्रि के उत्सव के लिए पूरी तरह अनुकूल होती है क्योकि ना तो दोनों ही समय पर ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ज्यादा सर्दी। खुशगवार मौसम, नवरात्रि के त्यौहार की सुन्दरता को और बढ़ाता है।

वैज्ञानिक रूप से, मार्च और अप्रैल के बीच, सितंबर और अक्टूबर के बीच, दिन की लंबाई रात की लंबाई के बराबर होती है। वैज्ञानिक आधार पर इसी समय पर नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है।

नवरात्रि का त्यौहार दो बार मनाने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि पहले नवरात्रि सिर्फ गर्मियों की शुरूआत से पहले यानी की चैत्र माह में ही मनाई जाती थी लेकिन जब श्री राम ने रावण से युध्द किया तो युध्द में विजयी होने के बाद वो मां का आशीर्वाद लेने के लिए इतंज़ार नहीं करना चाहते थे और इसलिए उन्होने एक विशाल दुर्गा पूजा की जिसके बाद से नवरात्रि का त्यौहार दो बार मनाया जाने लगा।

वैसे मां दुर्गा की उपासना के लिए सभी समय एक समान है और दोनो नवरात्रि भी एक समान प्रताप रखती हैं और इसलिए इस दौरान मां की पूजा करने वाले भक्तों को उनकी विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है।

Deepika Bhatnagar

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