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मणिकरण – पहाड़ों में बसा धार्मिक सद्भावना का एक स्थल

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जब हम बात करते हैं हिमाचल प्रदेश की तो कई सुन्दर जगहों का वर्णन हमें याद आता है. इसी क्रम में आज हम आपको बताना चाहेंगें एक जगह के बारें में, जिसका नाम है मणिकरण.

मणिकरण पहाड़ों में बसी एक खुबसूरत जगह है जहाँ आप एक ही जगह पर मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद साथ पाएंगें. यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और कुछ वर्षों से यह ट्रैकिंग के लिए भी एक पसंदीदा स्थल के रूप में उभरा है. करीब 1700 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ मणिकरण का वास्तव में अर्थ है ‘बहुमूल्य रत्न’. यह कुल्लू से 45 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है.

इतिहास

 हर जगह के पीछे उसका छुपा हुआ एक रोचक इतिहास होता है. कुछ ऐसा ही इतिहास मणिकरण का भी है. पौराणिक कथा के अनुसार यह मान्यता है कि पारवती ने अपन कान का कुंडल यहाँ गिरा दिया था और जब शिव जी ने अपने अनुयायी को यह ढूँढने के लिए भेजा तो वे इसे पाने में कामयाब नही रहे और इसी की वजह से शिवजी क्रोधित हो उठे और धरती में दरार पड़ गई और इस जगह का जन्म हुआ. इसी तरह सिख धर्म की मान्यता है कि गुरु नानक यहाँ आने चेलों के साथ यहाँ आए थे और उन्हीं की याद में यह गुरुद्वारा बनवाया गया. सिख आस्थाओं के अनुसार यह गुरुद्वारा एक ख़ास जगह रखता है.

मणिकरण के गरम पानी का कुंड बड़ा ही प्रसिद्ध है. इस कुंड का पानी प्राकृतिक तौर पर इतना गर्म है कि आप चावल भी इसमें पका सकते है. यह भी कहा जाता है कि इस कुंड का पानी पवित्र है और इसमें कई प्रकार की शक्ति होने का दावा किया जाता है. धार्मिक आस्था के कारण लोग इस पानी से स्नान भी करते हैं.

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