शिक्षा और कैरियर

नहीं देखे होंगे आपने ऐसे कॉलेज जहाँ गेम्स को मानते हैं समय की बर्बादी !

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय – आज की युवा पीढ़ी कि सोच पहले से काफी अलग है, जहा एक तरह कहा जाता था की “खेलों के कुदोगे तो होगे खराब और पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब” वही आज कल के बच्चों को उनके माता पिता खुद खेलने की सलाह देने लगे हैं और जिसमें उनकी रुची हो उसी में अपना करियर बनाने की बाते कर रहे हैं.

यहाँ तक की आज को सरकार तक खेलों को बढ़ावा देने में आगे है. लेकिन भारत में अभी भी ऐसे कई कॉलेज हैं जो छात्रों की जेब ढीली करने में लगे हुए हैं. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से संबंध रखने वाले कॉलेज में ना तो खेल मैदान है और ना ही कोई सुविधाएँ, फिर भी वह खेल शुल्क वसूल रहे हैं.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से करीब 300 सरकारी कॉलेज संबंधित हैं.

इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के लॉबीएड और अन्य उच्च शिक्षण संस्थान शामिल हैं. यह सभी कॉलेज युवाओं से खेलों के विकास के लिए सौ रुपये बतौर फीस वसूलते हैं और इन पैसो से कॉलेज को आउटडोर व इंडोर खेलों के अलावा विभिन्न प्रतिस्पधाए कराई जानी चाहिए जबकि हकीकत में माजरा कुछ और ही है.

खेल मैदान ही नहीं

जब कभी किसी कॉलेज का निरीक्षण किया जाता है तो उसके भवन के अलावा उसके खेल मैदान, आउटडोर और इंडोर खेल की सुविधाएँ, संसाधन, शारीरिक शिक्षक और आदि का भी निरीक्षण किया जाता है. विश्वविद्यालय से जुडे कई कॉलेज के पास खेल मैदान तक नहीं है, गेम्स खिलाना तो दूर की बात. जिनमें राजकीय कन्या महाविद्यालय, लॉकॉलेज, श्रमजीवी कॉलेज, राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज सहित कई निजी कॉलेज शामिल हैं.

अन्य संसाधन तक नहीं हैं मौजूद

इन सभी कॉलेज में खेल मैदान तो छोड़िये बल्कि खेल प्रशिक्षक तक नहीं हैं.

यहाँ तक की ज्यादातर सरकारी और निजी कॉलेज में खेल के अन्य संसाधन तक नहीं हैं. कॉलेज स्तर पर खेलो का आयोजन भी नहीं होता. कभी कभार बस विद्यार्थियों के लिए अंतर कक्षा स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता होती है. राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर के खेल तो छोडिये यहाँ जिला स्तर तक पर कोई प्रतियोगिताओं का नियमित आयोजन नहीं होता. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अपनी कुछ इंटरकॉलेज प्रतियोगिताएँ जरूर कॉलेज में कराता है. यह प्रतियोगिताएँ केवल उन्हीं कॉलेज में होती हैं जहा संबंधित खेल की सुविधाए, संसाधन मौजूद हो.

खेल फीस पूरी वसूल की जाती है

देखा जाए तो यह साफ तौर से जाहिर है कि जिन कॉलेज में खेल मैदान अथवा संसाधन तक नहीं हैं वहाँ विद्यार्थियों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. लेकिन इसके बावजूद सभी विश्वविद्यालय, विद्यार्थियो से खेल की पूरी फीस वसूल कर उनकी जेबे ढीली कर रहे हैं. कई निजी बिएड और लॉकॉलेज तो इसमें अव्वल हैं.

स्कूल में हैं बेहतर संसाधन

इन विश्वविद्यालयो से ज्यादा तो सीबीएसई से संबंधित स्कूल में खेल मैदान और संसाधान हैं. मेयोकॉलेज और मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल, मयूर, संस्कृत द स्कूल और अन्य स्कूल में उच्च स्तरीय स्वीमिंग पूल, बॉस्केट बॉल कोर्ट, हॉकी-क्रिकेट मैदान, स्कवैश, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और अन्य इंडोर गेम्स सुविधाएँ उपलब्ध हैं.

यह सभी कॉलेज ना तो खेल को युवाओं में बढ़ावा देते हैं और ना ही उसे पढाई और विद्यालय का हिस्सा मानते हैं लेकिन जब बात फीस वसूली की आती है तो यही कॉलेज सबसे आगे देखने को मिलते हैं.

Shivam Rohatgi

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Shivam Rohatgi

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