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प्यार की हद में बेहद होने से पहले जान लें ये बातें

प्यार में बेहद

प्यार में बेहद – प्यार एक खूबसूरत एहसास है।

इसे लव्जों में बयां नहीं किया जा सकता।

इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। लेकिन प्यार की हद जानना भी बेहद जरूरी है।

प्यार में पड़कर जिंदगी संवारना और प्यार में पड़कर जिंदगी बिगाड़ना, इसके बीच एक महीन लाइन है जिसे जानना बेहद जरूरी है। प्यार की हद को जानना जरूरी है। आज कल समाज में प्यार के जो रूप सामने आ रहे हैं, उसे देखकर सबक लेने की जरूरत है।

चलिए जानते है प्यार की हद क्या है और प्यार में बेहद होने से क्या होता है ।

प्यार और जिद में फर्क

क्या तुम मुझे प्यार करती हो? क्या तुम सिर्फ मुझ से ही प्यार करती हो ? इन दोनों वाक्यों में फर्क है। एक वाक्य में स्नेह दिखता है तो दूसरे में जिद। जरूरी नहीं कि जिसे हम प्यार करें वो भी हमें प्यार करे और उतने ही स्तर का प्यार करे। कई बार लोग किसी के हंसकर बात करने को भी प्यार का अंदाज समझने लगते हैं। ये गलत है, जरूरी नहीं कि किसी ने आपसे हंसकर बात कर ली तो वो भी आपको पसंद करने लगा।

प्यार में बेहद होने से पहले

प्यार को पाना और प्यार पाने के लिए कुछ भी कर जाना। इसमें जमीन आसमान का फर्क है। मनोचिकत्सकों की मानें तो प्यार करना ठीक है लेकिन प्यार पाने के लिए किसी भी हद तक जाना ये खतरनाक साबित हो सकता है। इसके लिए इस बात को जानना भी बेहद जरूरी है कि आप प्यार में हैं या जुनून में। क्योंकि प्यार उम्रभर  बना रहता है जब कि जुनून उस चीज को पाने के बाद ही खत्‍म होता है। वो लोग जिन्हें बचपन से कुछ ज्यादा ही छूट मिली हो, जिन्हें घर में प्यार के बजाए पैसों के सहारे सारे चीजें मिलीं हो ऐसे लोग प्यार नहीं बल्कि उस चीज को पाने की जिद कर बैठते हैं। यह न सिर्फ उनके व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है बल्कि उनसे जुड़े लोगों को भी प्रभावित करता है। ऐसे लोगों को आम भाषा में बिगड़ैल भी कहा जा सकता है।

प्यार है या पर्सनालिटी डिस्‍ऑर्डर

मनोचिकित्सकों के अनुसार प्यार करने वाले की कुछ ज्यादा ही केयर करना, हर समय मैसेज फोन से उससे टच में रहना। उसे उसकी स्पेस न देना भी एक तरीके का पर्सनालिटी डिस्‍ऑर्डर है। इसे ओडीडी यानी अपोजीशनल डेफिशियेंट डिस्‍ऑर्डर कहते हैं। इससे पीड़ित लोग सिर्फ अपनी बात ही मनवाते हैं। अपनी ओर आकर्षित करने या उनकी बात न मानने पर ये न‌ सिर्फ दूसरों को बल्कि खुद को भी तकलीफ पहुंचाते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में बॉर्डर लाइन पर्सनालिटी डिस्‍ऑडर भी देखने को मिलता है। इन लोगों को सही और गलत में फर्क समझ ही नहीं आता। इन्हें ऐसा लगता है कि जो भी ये कर रह हैं वो सही है। खासबात ये है कि ये डिस्‍ऑर्डर किसी में भी किशोरावस्था की शुरुआत में डेवेलेप हो सकते हैं, यदि समय से इन लक्षणों को न पहचाना जाए तो आगे चलकर इसके गलत परिणाम सामने आते हैं।

प्रि-मराइटल काउंसलिंग से बन सकती बात

कहते हैं किसी भी रिश्ते में एक बॉर्डर लाइन होनी जरूरी है। इसे सभी को ध्यान में रखना जरूरी है। सबकी अपनी प्राइवेसी है और उस प्राइवेसी की रिस्पेक्ट सभी को करना आना चाहिए। बकौल काउंसलर अल्पना, अगर हम किसी को पर्सनल स्पेस नहीं देंगे तो एक लिमिट के बाद उस रिश्ते में घुटन महसूस होने लगेगी जो किसी भी व्यक्ति के लिए ठीक नहीं। इसके गलत प्रभाव रिश्तों में पड़ने के साथ ही व्यक्ति के व्यवहार में भी दिखने लगते हैं। इसी कारण कई बार लोग बिना सोचे समझे आपराधिक गतिविधयों में लिप्त हो जाते हैं।

वन साइडेड लव ज्यादा खतरनाक

अपने मन की बात मन में ही रखना और सामने वाले से ये एक्सपेक्ट करना कि वो सब खुद ही समझ ले, ये आदत भी बहुत खतरनाक साबित होती है। अक्सर ऐसा न होने या सामने वाले का इजहार ए मोहब्बत को मना कर देना लोगों को इतना चुभ जाता है कि फिर वो एसिड अटैक, बलात्कार, मानसिक व शारीरिक शोषण करने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसा करने से उन्हें भले ही संतुष्टि मिलती हो पर ये उनकी मानसिक विकृति को दर्शाता है। ऐसे लोगों को काउंसलिंग की जरूरत होती है क्योंकि ये इस कर जुनून में रहते हैं कि इनमें सही और गलत में फर्क करने की क्षमता ही खत्म हो चुकी होती है।

रिलेशनशिप मैनेजमेंट ट्रेनिंग जरूरी

आजकल 11 साल के बच्चे भी बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड की बात करते हैं। ये दर्शाता है कि हमारे समाज की घटनाओं का उनके दिलो दिमाग पर कितना गहरा असर पड़ा है। यही कारण है कि आजकल के बच्चों में शुरू से ही रिलेशनशिप मैनेजमेंट ट्रेनिंग देना जरूरी है। अभिभावक अपने बच्चों को सही गलत में फर्क समझाएं। हर‌ रिश्ते ही अहमियत और उसे दायरे के बारे में बताएं ताकि उनके कोमल पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े। वे दूसरों की भावनाओं को समझें और उसके अनुरूप काम करें।

प्यार बेशक करें पर प्यार की हद जान ले । यहाँ दी गई बातों को भी गौर ज़रूर करें ताकि आपको भी प्यार और जिद में फर्क समझ आये और क्या पता आपकी यही सतर्कता किसी की ज़िंदगी बर्बाद होने से बचा ले। इसलिए प्यार करें बेशुमार पर करें असरदार, इतना असरदार की जो आपसे प्यार करे वो आपके बंधन में बन्ध कर भी खुश रहे न की बेचैन। खुश रहे न कि उदास।