इतिहास

नहीं जानते होंगे आप कौन था श्रीराम के रघुवंश का आखरी राजा

रघुवंश का आखरी राजा – भगवान राम की कहानी तो आप सब बचपन से ही सुनते आ रहे होंगे कि वो श्रीराम 4 भाई थे और भगवान श्रीराम मर्यादापुरुषोतम थे, उनकी सौतली माता कैकेयी ने अपने बेटे भरत को राजद्दी पर बैठाने के लिए श्रीराम को वनवास भेज दिया, मगर भरत ने भी हमेशा अच्छे और सच्चे भाई का धर्म निभाया.

ये सारी बातें तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि जब भगवान राम ने अपने मानव रूप को छोड़ दिया? यानी उनकी मृत्यु हो गई तो कौन बना रघुवंश का आखरी राजा  ?

कहा जाता है कि भगवान राम की मृत्यु के बाद बड़ा बेटा ‘कुश’ राजा बना. लेकिन कुश अपने पूर्वजों की तरह एक कुशल शासक नहीं बन पाया. वो इसलिए भी क्योंकि उन्होंने नागों को मारने की कोशिश की थी. जिन्होंने उनके पिता भगवान राम द्वारा दिए बेशक़ीमती पत्थर को चुरा लिया था. भगवान राम को ये बेशक़ीमती पत्थर अगस्त्य ऋषि ने भेंट में दिया था. कथाओं के मुताबिक़, कुश दुर्जय राक्षस से लड़ाई के दौरान मारा गया था, लेकिन उनके पूर्वज कभी, कोई भी लड़ाई नहीं हारे थे.

पर जब दुर्जय राक्षस ने स्वर्ग पर आक्रमण किया, तो वो इसमें मारा गया था.

कुश की मृत्यु के बाद उसका बेटा ‘अतिथि’ राजा बना. कुश और नागकन्या कुमुदवती का बेटा अतिथि अपने पूर्वजों की तरह एक महान राजा था. वशिष्ठ मुनि की देख-रेख में अतिथि एक महान योद्धा बना.

अतिथि के मरने के बाद उसका बेटा ‘निषध’ राजा बना. निषध भी अपने पिता की ही तरह एक महान राजा और योद्धा साबित हुआ.

निषध के बाद उसका बेटा ‘नल’ राजा बना. लेकिन नल राजपाट त्यागकर ऋषि मुनियों के साथ जंगल में रहने लगा. पिता के राजपाट त्यागने के बाद ‘नभ’ उत्तर कोसला का शासक बना. नभ पर पुंडारीक ने हमला किया था. पुंडारीक की तरह उसका बेटा क्षेमधनवा भी एक महान योद्धा था.

क्षेमधनवा का बेटा देवानीक भी अपने पिता की ही तरह महान योद्धा था. वो देवास की सेना का प्रमुख भी था. देवानीक का एक बेटा था जिसका नाम था अहीनागू, जिसने पुरे ब्रह्मांड पर राज किया. जिसे उसकी प्रजा ने ख़ूब प्यार किया. देवानीक के बाद उसका बेटा परियात्रा राजा बना. परियात्रा की मृत्यु के बाद उसका बेटा शिल राजा बना, जो कि बहुत विनम्र था.

इसी तरह साल दर साल राजा बदलते गए और रघुवंश यूं ही आगे बढ़ता गया. अग्निवर्ना इस रघुवंश का आखरी राजा था. लेकिन वो हमेशा भोग विलासिता भरी ज़िन्दगी जीने का आदि हो गया था. प्रजा तो दूर की बात उनके मंत्रियों ने भी उन्हें कभी नहीं देखा था. वो विलासिता के कारण बेहद कमज़ोर राजा बन गया था, बावजूद इसके अन्य राजाओं को राघवों से इतना डर ​​था कि उन्होंने कभी भी हमला करने की नहीं सोची. इस तरह अग्निवर्ना की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई. जिस वक़्त वो मरा उसकी गर्भवती पत्नी सिंहासन पर बैठने को तैयार थी और इसी के साथ महान रघुवंशी राजवंश समाप्त हो गया.

रघुवंश का आखरी राजा – ये थी कहानी – तो इस तरह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के वंश का आखिरा राज अग्निवर्ना था, मगर वो श्रीराम के बिल्कुल विपरीत था. तो उसमें मर्यादा थी और न ही संस्कार.

Kanchan Singh

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