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कोहली को नहीं पसंद भारतीय बॉल कहा चाहिए ‘ड्यूक’

ड्यूक

ड्यूक बॉल – किसी भी खेल में महारत तभी आती है जब खेल से जुड़े सारे उपकरण बेहतरीन हो. फिर चाहे वो खेल हॉकी हो, फुटबॉल, टेनिस या फिर क्रिकेट.

शुक्रवार को वेस्टइंडीज़ से दूसरा टेस्ट मैच खेलने की तैयारियों के बीच टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने गेंद को लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की है. कोहली का कहना है कि टेस्ट मैच ड्यूक गेंद से ही खेली जानी चाहिए.

कप्तान विराट कोहली एसजी गेंद जिनका इस्तेमाल भारत में क्रिकेट खेलने में होता है कि क्वालिटी से खुश नहीं हैं. कोहली ने इस गेंद को लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की है और कहा कि दुनियाभर में टेस्ट क्रिकेट इंग्लैंड में बनी ड्यूक गेंद से खेला जाना चाहिए. कोहली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच से पहले कहा, ‘मेरा मानना है कि ड्यूक की गेंद टेस्ट क्रिकेट के लिए सबसे बेहतर है. मैं दुनियाभर में इस गेंद के इस्तेमाल की सिफारिश करूंगा. इसकी सीम कड़ी और सीधी है और इस गेंद में निरंतरता बनी रहती है.’

गेंद के इस्तेमाल को लेकर आईसीसी के कोई खास गाइडलाइन नहीं हैं और हर देश अलग तरह की गेंदों का इस्तेमाल करता है. भारत स्वदेश में बनी एसजी गेंदों का इस्तेमाल करता है. इंग्लैंड और वेस्टइंडीज ड्यूक, जबकि ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका कूकाबूरा गेंद से खेलते हैं. भारतीय गेंद को लेकर कोहली से पहले ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन भी सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि वह एसजी की बजाय कूकाबूरा से बॉलिंग करते हुए ज़्यादा अच्छा  महसूस करते हैं. कोहली ने अश्विन की बात को बिल्कुल सही ठहराया.

कोहली ने कहा, ‘मैं पूरी तरह से उनसे सहमत हूं. पांच ओवर में गेंद घिस जाती है ऐसा हमने पहले कभी नहीं देखा था. पहले जिस गेंद का इस्तेमाल किया जाता था, उसकी क्वालिटी काफी अच्छी थी और मुझे नहीं पता कि अब इसमें गिरावट क्यों आई है.’ उन्होंने कहा, ‘ड्यूक गेंद अब भी अच्छी क्वालिटी वाली होती है. कूकाबूरा भी बेहतर है.’

वैसे हमारे देश में खेल से जुड़े उपकरणों की गुणवता हमेशा से ही दूसरे देशों से खराब रही है और जहां तक खिलाड़ियों की सुविधा की बात है तो क्रिकेट को छोड़कर बाकी किसी भी खेल में न तो उपकरणों का ध्यान रखा जाता है न ही खिलाड़ियों का. यदि कभी ओलपिंक और दूसरी प्रतिस्पर्धाओं में खिलाड़ी पदक जीतते भी हैं तो बस अपनी प्रतिभा की बदौलत. खेल से जुड़े संगठन उनकी मदद नहीं करते ये एक कड़वी सच्चाई है.

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