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रामशंकर ‘विद्रोही’ की ये कवितायेँ नहीं नंगा सच है!

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नई खेती 

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मैं किसान हूँ
आसमान में धान बो रहा हूँ
कुछ लोग कह रहे हैं
कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता
मैं कहता हूँ पगले!
अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है
तो आसमान में धान भी जम सकता है
और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा
या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा
या आसमान में धान जमेगा।

देखा आपने विद्रोही की एक एक कविता सरल शब्दों में कितनी गहरी और खरी बात कह देती थी. रामशंकर विद्रोही के जीवन पर बनी documentary “मैं तुम्हारा कवि हूँ ”  को कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरूस्कार भी मिले थे.
रामशंकर विद्रोही का शरीर चला गया हो लेकिन…

विद्रोही मरे नहीं है…. विद्रोही मरा नहीं करते.

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