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कश्मीर में भारत की इजराइल नीति

भारत इजराइल

भारत इजराइल के प्रधान मंत्री के मजबूत रिश्ते की झलक तो आपने देख ली होगी ।

भारत इजराइल का रिश्ता आज का नहीं  बल्कि बहुत पुराना ।

खासतौर पर भाजपा के साथ इजराइल के रिश्ते सबसे ज्यादा मजबूत है । 2014 में भाजपा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेन्द्र मोदी के पीएम बने पर इजरायल के प्रधानमंत्री ने ही पीएम मोदी को बधाई दी थी ।

वहीं इंदिरा गांधी की मौत के बाद भी भारत की सिक्युरिटी के क्षेत्र में आगे बढ़ने इजराइल ने बहुत सी सलाह दी थी । और अगर भारत इजराइल  की स्थितियों को ध्यान से देखा जाए  तो इन दोनों देशों की स्थिति काफी हद तक समान हैं ।

भारत इजराइल

जिस तरह भारत की लड़ाई पाकिस्तान से है, उसी तरह इजराइल की लड़ाई अपने पडो़सी देश फिलीस्तीन से हैं । इसीलिए भारत भी कुछ वक्त से पाकिस्तानी आतंकवादियों से निपटने के लिए वहीं नीति अपना रहा है । जो इसराइल ने फिलस्तीन के खिलाफ अपनाई थी ।भारत ने कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल कर कश्मीर घाटी से आतंकवादियों को ढूंढ- ढूंढ कर निकालकर खत्म करने का तरीका अपनाया हैं और चंरमपंथियों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाने की कोशिश कर रहा हैं ।

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यही रणऩीति इजराइल ने फिलीस्तीन में मौजूद आजादी की मांग कर रहे लोगों के समर्थन के खिलाफ अपनाई थी ।

जिसे इजराइल को काफी फायदा हुआ था । और अगर बात करें भारत के इस नीति को अपनाने की तो ।भारत के इस नीति को अपनाने के बाद कश्मीर घाटी में पहले के मुकाबले पत्थरबाजी के मामले काफी कम हो गए हैं । हिजुबल मुजाहिदन कमांडर बुरहान वानी और घाटी में पिछले दो साल में मारे गए दूसरे आतंकवादी इस नीति की बड़ी कामयाबी हैं  । हालांकि इन आतंकवादियों को खत्म करने  में हमें अपने देश के कई जवानों को भी खोना पड़ा हैं । रिपोर्टस के मुताबिक जहां पहले माओवादियों के कारण शहीद होने वाले जवानों की संख्या ज्यादा होती थी । वहीं पिछले दो सालों के कश्मीर में शहीद हुए जवानों का आकड़ा उनसे कहीं ज्यादा हैं ।

हालांकि पिछले दो सालों में पत्थर बाजी के मामलों में कमी देखी गई हैं ।

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लेकिन खबरों के माने तो सरकार के इस सख्त रिवाइयै की वजह से घाटी के लोगों का ब्रेन वॉश कर चरमपंथी उन्हें अपने देश के खिलाफ भड़का रहे हैं । जिसका सबसे अच्छा उदाहरण 8 जनवरी 2018 को कश्मीर के बड़गाम जिले में तीन चरमपंथियों की मौत के बाद लोगों दारा किया प्रर्दशन है  ।ऐसा प्रदर्शन शायद चरमपंथियों से ग्रसित देश आफगानिस्तान और सीरिया में भी देखने को नहीं मिलता ।

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हालाकिं समान हालात फिलीस्तीन और इजराइल बॉर्डर पर रहने वाले लोगों की भी है । जो इजराइल का विरोध करते हैं । जिसे साफ जाहिर है कि  दोनों ही देश इस समस्या को खत्म करने के लिए एक जैसी नीति अपना रहे हैं ।

हालांकि ध्यान से देखा जाए कश्मीर की परिस्थतियां इजराइल की स्थितियों से अलग हैं । जिस वजह से सरकार के इस सख्त रुख पर विपक्षी पार्टियों ने निंदा करते हुए कहा कि सरकार कश्मीर में लोगों के साथ ऐसे व्यवहार कर ही है जैसे वहां के लोग पाकिस्तान की कठपुतली हैं । जिसे घाटी के लोगों में काफी निराशा और हताशा हैं ।