भारत

आबादी ऐसे ही बढ़ती रही तो गुब्‍बारे की तरह फट जाएगा भारत !

भारत की आबादी कितनी तेजी से बढ़ रही है ये तो आप जानते ही हैं।

1989 से हर साल 11 जुलाई को विश्‍व जनसंख्‍या दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश और दुनिया की आबादी को धरती के सर्फेस एरिया से भाग देकर बताया जाता है कि जनसंख्‍या कितनी बढ़ गई है और एक आदमी के लिए जमीन कितनी कम हो गई है।

हर बार कहा जाता है कि देश की बढ़ती जनसंख्‍या को कंट्रोल करने में सरकार की मदद करें लेकिन आम लोगों के दिमाग ये बात फिट ही नहीं बैठती। जिस तेजी से भारत की आबादी बढ़ रही है उससे तो लगता है कि भारत एक गुब्‍बारे की तरह फूल रहा है तो किसी भी दिन फट सकता है।

इतनी कैसे बढ़ी आबादी

आज से 12 हज़ार साल पहले भारत की आबादी बस एक लाख थी और 6 साल के अंदर ही से संख्‍या 10 लाख तक पहुंच गई।

अगर भारत की आबादी एक स्थिर रफ्तार से बढ़ती रही तो इस 10 लाख को 1 करोड़ होने में लगभग ढाई हज़ार साल लगे। एक करोड़ से 10 करोड़ होने में तीन हज़ार साल लगे और 10 करोड़ से 100 करोड़ होने में बस 500 साल लगे।

इससे पता चलता है कि भारत की आबादी में सबसे ज्‍यादा इजाफा तब हुआ जब अंग्रेज यहां आए।

अंग्रेजों ने बढ़ाई भारत की आबादी

अंग्रेज़ जब भारत पर राज करने आए थे तो अपने देश से कई सारी सुख-सुविधाओं को लेकर आए थे जिनमें से एक थी एंटीबायोटिक्‍स। इस तरह की अंग्रेजी दवाओं से बीमारी के चलते होने वाली मौतों में बहुत कमी आ गई थी लेकिन देश की जनसंख्‍या का प्रॉडक्‍शन चलता रहा। यहां लोग भगवान का प्रसाद मानकर बच्‍चे पैदा करते हैं। इससे देश की जनसंख्‍या बढ़ने लगी और यही भारत पर आबादी का बोझ बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि बच्‍चे तो पैदा हुए लेकिन उनके मुकाबले मृत्‍यु कम हुईं।

आजादी के बाद तो देश की आबादी जैसे बुलेट ट्रेन की तरह बढ़ने लगी। 1952 में सरकार का ध्‍यान भी इसकी तरफ गया। तब भारत की आबादी 36 करोड़ थी। खिलाने को खाना नहीं था और पहनने को कपड़ा। 60 के दशक में सरकार ने लोगों से कम बच्‍चे पैदा करने की अपील की। जनता ने सरकार को सीरियसली नहीं लिया और देश की आबादी 56 करोड़ पहुंच गई। अब सरकार ने तीन बच्‍चे की अपील से दो ही बच्‍चे करने की गुजारिश शुरु कर दी।

जब पब्लिक इतने पर भी नहीं रूकी तो संजय गांधी ने इमेरजेंसी के दौर में लोगों को घर से डठाकर नसबंदी करवाना शुरु कर दिया। इसकी वजह से इंदिरा गांधी की सरकार गिर गई लेकिन इसके बाद से किसी राजनैतिक पार्टी ने लोगों को बच्‍चा पैदा करने से रोकने की हिम्‍मत नहीं की। यहां लोग फैमिली प्‍लानिंग को ज्‍यादा भाव नहीं देते हैं।

भले ही चीन की आबादी हमसे ज्‍यादा हो लेकिन हम ये कैसे भलू सकते हैं कि उसके पास जगह और पैसा दोनों ही हमसे तीन गुना ज्‍यादा है।

अगर ऐसा ही चलता रहा तो सच में भारत जनसंख्‍या के बोझ तले दबकर एक दिन गुब्‍बारे की तरह फट जाएगा और हम सब पर ये बहुत भारी पड़ेगा।

Parul Rohtagi

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