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 जहाँ यूरोप की एनर्जी विकास पर खर्च होती है वही भारत की उर्जा सेक्स पर- ओशो

भारत की महान संस्कृति

भारत सदियों से एक अनोखा देश रहा है अगर आपको भारत की महान संस्कृति पर कभी कोई शक हो जाएँ तो कुछ विदेशी लोगों के कथन पढ़ लिया करें मेरा मानना है कि तुरंत ही आपके सारे संशय ख़त्म हो जायेंगे इसी सन्दर्भ  में मार्क ट्वेन का एक प्रसिद्द कथन है कि…

“भारत मानव जाति का पालना, मानव भाषा की जन्म स्थली, इतिहास की जननी, पौराणिक कथाओं की दादी और परंपरा की परदादी रहा है। मानव इतिहास में सर्वाधिक मूल्यवान और सर्वाधिक शिक्षाप्रद सामग्री का खजाना केवल भारत में निहित है।“ अतः भारत एक बेजोड़ संस्कृति वाला देश रहा है यहाँ के ऋषि मुनियों ने समाज को नई दिशा देने के लिए हर संभव कदम उठाये  फिर चाहे काम की शिक्षा देने के लिए वात्सायन द्वारा रचित कामसूत्र हो या फिर एक अच्छे समाज निर्माण के लिए मनु द्वारा रचित मनु स्मृति ।

लेकिन क्या आज आपको महसूस नहीं होता कि भारत की महान संस्कृति के बिभिन्न तत्व समय के साथ पुराने पड़ चुके हैं अतः आवश्यकता है उन तत्वों का दुबारा मूल्यांकन किया जाए…

हमें ज्ञात होना चाहिए  ‘कोई भी संस्कृति परिस्थितियों से बनती है’ अर्थात जैसी परिस्थिति वैसी संस्कृति।

लेकिन आज हम देखते हैं कि परिस्थिति बदल चुकी है, आज भारत की महान संस्कृति के नाम पर भारतीय युवाओं पर एक दबाव बनाया जाता है  उन्हें भिन्न भिन्न प्रतिवंधों में रखा जाता है।

भारत की महान संस्कृति

आज सेक्स एक ऐसा मेटर हो चूका है जिसके बारे में कोई खुल के बात नहीं करना चाहता, इस मामले में आज भारतीय समाज दो धुरी में बंटा हुआ है. एक ध्रुव परंपरा की बात करता है लेकिन आज उन परम्पराओं को कैसे जारी रखा जाए इस बारे में बात नही करता, तो वही दूसरा ध्रुव नए 21 वीं सदी के युग जहाँ पाश्चात्य विचारधरा है ऐसे समाज की बात करता है।

अगर ओशो की नजरों से इस पूरी कहानी को देखें तो ओशो का कहना था “यूरोप के युवा अपना ध्यान कैरिएर पर लगा पाते हैं क्योंकि उनकी हर शारीरिक मानसिक जरूरत बड़ी आसानी से पूरी हो जाती है अतः  वह अधिक खुश और शांत रहते हुए अपने कैरिएर पर फोकस कर पाते हैं लेकिन वहीँ भारत के सन्दर्भ में स्थिति बिलकुल उलटी है. हमारे यहाँ के बच्चों को सिर्फ पढाई पर कैसे ध्यान लगाना है यही सिखाया जाता है और जब वह धीरे-धीरे बडे होने लगता है तो उसका ध्यान अपने शरीर की प्राक्रतिक जरूरतों पर जाता है लेकिन अफ़सोस वह अपनी जरूरतें आसानी से पूरी नहीं कर पाते और अपनी जवानी का बड़ा हिस्सा सिर्फ अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने में ही लगा देते है। उनके लिए कैरिएर जैसी चीजें सिर्फ एक स्वप्न की तरह रह जाती है। अतः आवश्यकता है एक ऐसे समाज की जहाँ सेक्स/ सम्भोग जैसी बातों पर खुल कर बात हो और हमारे युवा अपनी ऊर्जा सेक्स पर नहीं बल्कि देश की तरक्की में लगायें।”

इस तरह हमने देखा कि युवाओं का देश होने के बावजूद भारत के पिछड़े होने का राज़ ओशो ने बताया.

वहीँ इस उपाय की प्रासंगिकता को देखते हुए आज के कुछ प्रसिद्द लोगों ने भी इसी उपाय को तरहीज दी जिनमे संदीप महेश्वरी, साधुगुरु आदि नाम प्रसिद्द है। आप कुछ विडियो के माध्यम से बड़ी आसानी से देख सकते हैं।