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गुरु पूर्णिमा: हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म के धंधे में बड़ी कमाई

नौकरी व्यापार या नेतागिरी सबसे चोखा फायदा किसमें है ?

पढ़ लिख कर डॉक्टर, इंजिनियर या फिर कलेक्टर बननें में? या फिर नेता या अभिनेता बनने में ?

या फिर दादागिरी में?

इन सब में बहुत पैसा है, इस बात में कोई दो राय नहीं पर ये सब माने के लिए या तो बहुत पढने की ज़रूरत है या फिर बहुत मेहनत करने की या फिर पैसा लगाने की.

एक धंधा ऐसा है जिसमें न डिग्री की ज़रूरत ना मेहनत की और ना ही पैसे की. मतलब ऐसा धंधा जिसमे हल्दी लगे न फिटकरी और रंग भी आये चोखा.

ये धंधा है बाबागिरी का, मतलब धर्म का व्यापार.

ऐसा धंधा जिसके लिए आपको कोई काबिलियत या न कोई शैक्षिक योग्यता और न ही किसी और चीज़ की ज़रूरत पड़ती है. जरुरत होती है तो अंधी श्रद्धा की और लोगों को मूर्ख बनाने की कला की.

संत, महात्मा, गुरुओं के बारे में शायद बचपन से पढ़ते आ रहे है और देखते भी आ रहे है. वो सब एक ही बात सीखते है कि सही रास्ते पर चलो, अपनी ज़रूरतें कम रखो, लालच मत करो, किसी का बुरा मत करो.

पहले के ज़माने में शायद बाबा, गुरु, मौलवी, फादर की इन सब बातों पर यकीन भी होता था, क्योंकि वो इन सब बातों को सिर्फ बोलते ही नहीं अपने जीवन में उतारते भी थे.

लेकिन आज तो इन बाबा लोगों का जीवन देकर बड़े से बड़ा व्यापारी भी जल जाए. ऐसा ऐश्वर्य, इतनी संपत्ति और इतना मुनाफा.

चलिए गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आपको मिलाते है भारत के सबसे अमीर धर्मगुरुओं से जो आपके खून पसीने की कमाई से दिन पर दिन और भी अमीर होते जा रहे है.

बाबा रामदेव

ramdev

आज से 20 साल पहले बाबा रामदेव ने योग सिखाना शुरू किया. 2003 में आस्था चैनल में रामदेव के योग का प्रसारण शुरू हुआ. उसके बाद से बाबा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

दिन दोगुनी और रात चौगुनी वृद्धि हुयी योग के व्यापार में. पतंजलि योगपीठ, तकरीबन हर शहर में दूकान, चैनल और भक्तों में बड़े बड़े नेता और अभिनेता.

देखा है किसी और का ऐसा जलवा वो भी 20 साल के मामूली वक्त में. आज के समय रामदेव की कुल सम्पति हजारों करोड़ में है. मोटे अनुमान के तौर पर 2014 में इनकी कुल संपत्ति 1200 करोड़ थी.

पूरे विश्व में आज रामदेव का नाम है और उनकी बदौलत ही विश्व योग दिवस की पहल हुयी. आज रामदेव का दखल ना सिर्फ धर और योग के क्षेत्र में है अपितु रामदेव राजनीति में भी अच्छा खासा दखल रखते है.

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