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इस वजह से साइंस और मैथ्स का नाम सुनकर लड़कियों को आते हैं चक्कर

साइंस और मैथ्स

लड़कियाँ आखिर क्यों भागती हैं साइंस और मैथ्स से, आपको ये जानकर शायद हैरानी होगी लेकिन ये विषय कई वर्षों से लोकप्रिय बना हुआ है और इस पर कई बार शोध भी किए जा चुके हैं लेकिन आज तक इस बात का कोई पक्का सबूत नहीं मिला है कि आखिर ऐसा क्यों है जो महिलाएँ इन सबजेक्ट में पुरुषों से पीछे हैं.

आज हम आपको बताने जाएंगे इसके पीछे छिपी वजह. हमने आपके लिए इन शोध को अलग-अलग अंकों में बाट दिया है जिस से इन्हें समझने में आसानी हो.

तो आइए जानते हैं साइंस और मैथ्स के बारे में –

साइंस और मैथ्स –

1 – स्कूल में भेदभाव

एक शोध में ये सामने आया है की 11वी और 12वी कक्षा की छात्रों के साथ टीचर्स द्वारा साइंस और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स को लेकर काफी भेदभाव किया जाता है. इस शोध में ये भी सामने आया था की 3 में से 2 लड़कियों को इस भेदभाव के कारण हाए स्कूल में मैथ्स और साइंस को छोड़ना पड जाता है.

साइंस और मैथ्स

2 – प्रोत्साहन की कमी

अन्य कार्यों की ही तरह इस विषय में भी लड़कियों को कम प्रोत्साहन के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कुछ छात्राओं का तो ये भी कहना है कि वह अपनी साइंस क्लास तक एटेंड करने नहीं जाती थी क्योंकि उनके टीचर्स उन्हें इस सबजेक्ट में आगे बडने का प्रोत्साहन नहीं देते हैं. यहाँ तक की किसी टीचर को फर्क तक नहीं पड़ता की किसी छात्रा ने इन सबजेक्ट में टॉप भी किया है तो वह आगे क्या करना चाहती हैं.

साइंस और मैथ्स

3 – लकीर के फकीर

यदि इसका अर्थ अंग्रेजी में निकाला तो स्टीरियोटाइप शब्द बनता है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शब्द का मतलब क्या है? अगर नहीं तो आइए बताते हैं, दरअसल इस शब्द का अर्थ है किन्हीं दो अलग व्यक्ति के बारे में अलग सोच रखना जो कि हमारे समाज में पुरुष और महिलाओं को लेकर कई वर्षों से लोगों के बीच है. और यही स्टीरियोटाइपलोग महिलाओं को हर फील्ड में बडने नहीं दे रहे.

साइंस और मैथ्स

4 – प्रतिस्पर्धा

एक शोध में ये सामने आया है कि महिलाएँ पुरुषों से बेहद कम प्रतिस्पर्धी और कम आक्रामक होती हैं. जिस कारण यह कॉम्पीटिशन की काफी शुरुआत में ही हार मान लेती हैं और सोचने लग जाती हैं की वह पुरुषों से मुकाबला नहीं कर सकती.

साइंस और मैथ्स

5 – नजर-अंदाज करना

हर फील्ड में ये देखा गया है कि यदि महिलाएँ अपने करीयर में अच्छी भी हो तब भी उन्हें पुरुषों के अनुसार कम सैलरी दी जाती है. यहाँ तक की एक रिसर्च में पाया गया है कि महिलाओं को कम अवार्ड्स व कम लैब और ऑफिस स्पेस मिल पाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि महिला सॉफ्टवेयरडेवलपर्स पुरुषों के 80% कमाते हैं.

साइंस और मैथ्स

साइंस और मैथ्स – दोस्तों अगर सभी शोध को एक साथ देखा जाए तो महिलाओं में किसी भी प्रकार की कमी नहीं है, कमी है तो हमारे समाज और उसकी सोच में जिसके कारण लडकियां ना केवल साइंस और मैथ्स बल्कि कई चीजों से दूर भागती हैं. आपको बता दे की महिलाओं को प्रोत्साहन के लिए एक सकारात्मकसुदृढ़ीकरण की आवश्यकता होती है जबकि दूसरी ओर पुरुषों को प्रोत्साहन के लिए एक नकारात्मक सुदृढ़ीकरण की जरूरत होती है.