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कुलधरा के नाम से भी कांपते हैं लोग !

भूतों का गांव

भूतों का गांव – टीवी पर तो भूत की फिल्में काफी देखी जाती हैं लेकिन अगर असलियत में भूत आ गया तो फिर क्या होगा? मजा आएगा।

इतने हिम्मती है? तो अगर इतने ही हिम्मती हैं तो देश के इस सबसे डरावने गांव में कभी अकेले जाइएगा। इस गांव के पास जाते ही आपकी रुह कांप जाएंगी। ये भूतों का गांव इतना डरावना है।

इंडिया अपने कल्चर, भाषा और टूरिस्ट प्लेसेस के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। लेकिन इन सबके साथ ये भूतिया जगहों के लिए भी पूरी दुनिया में फेमस है। आझ हम इन्हीं भूतिया जगहों में से किसी एक जगह की बात करने वाले हैं जिसके साथ कई सारे रहस्य जुड़ें हैं। और जिसे भूतों का गां कहा जाता है।

भूतों का गांव- कुलधारा

ये राजस्थान का एक गांव है। जिसके साथ कई सारे रहस्य जुड़े हैं। इन रहस्यों को जो सुलझाने गया है वो कभी भी वापस लौट कर नहीं आया। ये गांव रातों-रात वीरान हो गया था। और लोग अब तक इसका कारण नहीं समझ पाए हैं। शोधकर्ता और इतिहासवेत्ता भी इस बात की खोज करते रह गए। लेकिन इससे जुड़ा कोई भी सच सामने नहीं आया।

200 साल पहले शुरू हुई थी इस गांव की कहानी

इस गांव की कहानी 200 साल पहले शुरू हुई थी। 200 साल पहले ये गांव खंडहर नहीं था। बल्कि आसपास के 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों से आबाद हुआ करते थे। लेकिन फिर इस गांव को किसी की काली नजर लग गई और रातों-रात ही गांव उजड़ कर वीरान हो गया।
कुलधारा को नजर लगी थी इस गांव के रियासत के दीवान सालम सिंह की। सालम सिंह का दिल गांव के एक पुजारी की बेटी पर सालेम सिंह की बुरी नजर पड़ी और वो खूबसूरत लड़की जैसे सालेम सिंह की जिद बन गई। सालेम सिंह ने उस लड़की से शादी करने के लिए गांव के लोगों को चंद दिनों की मोहलत दी।

लड़की की इज्जत, गांव की इज्जत

कहते हैं ना लड़की घर की इज्जत होती है। ये लड़की भी गांव की इज्जत बन गई थी। गांव की चौपाल पर पालीवाल ब्राह्मणों की बैठक हुई और 5000 से ज्यादा परिवारों ने अपने सम्मान के लिए रियासत छोड़ने का फैसला ले लिया। लोगों ने तो गांव छोड़ दिया। लेकिन सबसे आश्चर्य की बात है कि ये गांव रातों-रात खाली हो गया था।

भूतों का गांव

नहीं मारते परिंदें भी पर

लेकिन इस गांव को छोड़ते वक्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया था। इसके कारण इस जगह को श्रापित माना जाता है। इस श्राप का असर इतना ज्यादा है कि यहां परिंदें भी गांव की सरहदों में दाखिल नहीं होते।
उस समय से अबतक ये गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है। यहां आने वाले लोगों को इन शैतानी ताकतों का एहसास होता है।

नहीं हो पाए वो दो गांव आबाद

धीरे-धीरे कर के समय बदला तो जगह को आबाद करने की कोशिश की गई। वक्त के साथ 82 गांव भी बस गए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वो दो गांव नहीं बस पाए जहां वो लड़की रहती थी और जहां वो दीवान।

भूतों का गांव

पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है गांव

अब ये गांव पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। इस गांव को दिन की रोशनी में सैलानियों के लिए रोज खोल दिया जाता है। यहां सैकड़ों पर्यटक आते हैं देश की इस विरासत को करीब से देखते हैं लेकिन अकेले नहीं लौटते, कुछ कहानियां भी उनके साथ जाती हैं।
इस गांव की सबसे अच्छी बात है कि यहां एक मंदिर और बावड़ी है जो श्राप से मुक्त है। इस मंदिर में लोग भगवान के दर्शन करते हैं और बावड़ी में पानी पीते हैं। श्राप भी लोगों ने सोच-समझकर दिया है जिससे की आम इंसान का नुकसान ना हो।

भूतों का गांव

हां लेकिन इस जगह पर रात को जाना खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि जो भी रात को जाता है वो हादसे का शिकार होता है। इसलिए भूल कर भी कभी इस गांव में रात को अकेले ना जाए।

तो ये है भूतों का गांव – हमारे देशा की वेरायटी। सिर्फ कल्चर और भाषा की वेरायटी नहीं है। रहस्यों और वीरान जगहों की भी वेरायटी है। ऐसी ही दूसरी वेरायटी हम अगली बार लेकर आएंगे। तब तक हमें आप ये बताइए की कुलधारा की ये कहानी आपको कैसी लगी?