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दैत्य गुरु शुक्राचार्य के ये 5 मूल मन्त्र हर किसी को याद रखना चाहिए.

शुक्राचार्य के मंत्र

शुक्राचार्य के मंत्र – ये तो आप भी जानते होंगे कि जब भी दत्यों और देवताओं में युद्ध होता था तो दैत्य भारी पड़ते थे.

देवता उनसे हार जाते थे. तब जाकर देवता भगवान् की शरण लेते थे और दैत्यों को हराने के लिए कोई उपाय पूछते थे. असल में देवता इसलिए हार जाते थे, क्योंकि दैत्यों के गुरु कोई और नहीं बल्कि स्वयं शुक्राचार्य थे.

जी हाँ वाही शुक्राचार्य जिनकी पत्नी इंद्र के बेटी थी. इंद्र की बेटी को उनसे प्रेम हो गया था और वो उन्हीं से विवाह की. हलांकि बहुत जल्द ही उनकी मृत्यु भी हो गई. अब आप समझ सकते है की वो गुरु कितने महान थे.

असल में दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के पास शक्ति और बुद्धि बहुत थी. एकमात्र वो ही थे जिनके पास मृत्यु संजीवनी विद्या थी. इतने महान गुरु ने जीने के लिए 5 मूल मन्त्र बताए हैं, जो बहुत ज़रूरी हैं. शुक्राचार्य के मंत्र हर किसी को जान लेना चाहिए.

शुक्राचार्य के मंत्र –

कल के बारे में अवश्य सोचें किन्तु कल पर कोई कार्य न टालें

पहला मूलमंत्र यही है. अक्सर हम सभी अपने काम कल पर छोड़ देते हैं. हमें लगता है कि ये काम कल कर लेंगे. दैत्य गुरु ने इसी को रोकने नहीं बल्कि छोड़ने की बात की है. आप कल के बारे में सोचें ज़रूर, लेकिन अपना काम कल पर बिलकुल  न छोड़ें इससे आप कभी सफल नहीं होंगे.

बिना सोचे मित्र न बनाएं

दैत्य दिल के बहुत साफ़ होते थे. उन्हें जो अच्छा लग गया वो उसकी मदद कर देते थे. बाद में वो उन्हें छल कर चला जाता था. इसलिए दैत्य गुरु ने कहा कि मित्र कभी भी बिना सोचे न बनाएं. किसी व्यक्ति को अपना सबकुछ तुरंत ही न बता दें. उसे जानें परखें और तब देखें कि अगर वो आपकी  मित्रता के लायक हो तभी मित्र बनाएं.

भोजन का अपमान न करें

आज भी हम इतनी महंगाई झेल रहे हैं, लेकिन घर पर या होटल में खाना खाते वक्त इसका ध्यान नहीं रखते और तुरंत खाना थाली में ही छोड़ देते हैं. एक दिन ऐसा आता है जब आप भूखे सोते हैं. इसलिए कभी भी अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए.

धर्म का पालन 

दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बारे में तो आप जानते ही होंगे। वे एक महान तपस्वी तथा ज्ञानी व्यक्ति थे. पौराणिक कथाओं में उनके जीवन तथा जीवन की घटनाओं के बारे में बहुत कुछ बताया गया है. यहां शुक्राचार्य धर्म के लाभ को बताते हैं। वे कहते हैं कि धार्मिक जीवन ही मानव को सम्मान दिलाता है. प्रत्येक मानव को अपने धर्म तथा धार्मिक ग्रंथों में बताई गई बातों का पालन अवश्य करना चाहिए तथा कुछ ऐसे कार्य जरूर करने चाहिए, जिनसे आम लोगों को लाभ मिल सके.

आँख मूंदकर विश्वास न करें 

गुरु शुक्रचार्य का यहां कहना है कि आप लोग भले ही किसी पर कितना ही विश्वास करते हों लेकिन उस विश्वास की अपनी सीमा होनी चाहिए. हम लोगों को किसी पर भी आंखें बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए. आप किसी पर भी विश्वास करें परंतु एक सीमा तक ही अपने विश्वास को रखें. आमतौर पर ऐसा कोई कर नहीं पाता. पहले विश्वास कर लेता है. बाद में उसे भुगतना पड़ता है.

अपने जीवन में इन सभी मन्त्रों को जगह दीजिए और फिर देखिए कैसे जीवन बदल जाएगा.