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कश्मीर के इस इलाके को कहते हैं छोटा पाकिस्तान, कदम रखते ही मिलती है चेतावनी

कश्मीर में एक इलाका ऐसा भी जिसे लोग छोटा पाकिस्तान कहते हैं.

इस इलाके में भारतीय सेना आतंकवादी से नहीं, बल्कि घर के भीतर के दुश्मन के लड़ रही है. कश्मीर में भारतीय सेना एक ऐसे दुश्मन से लड़ रही है जिसकी अपनी कोई वर्दी नहीं. जो युद्ध के कोई नियम नहीं मानता. यह दुश्मन नकाब में चेहरा छुपाकर बुर्कापोश महिलाओं, छोटे बच्चों और आम नागरिकों की आड़ में हमले करता है और फिर उन्हीं के पीछे छुप जाता है.

कश्मीर के शोपियां जिले को छोटा पाकिस्तान कहा जाता है.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की विधानसभा सीट अनंतनाग से कोई पचास किलोमीटर दूर से शुरू हो रहे शोपियां जिले को अब यहां के लोग ‘छोटा पाकिस्तान’ कहते हैं. आतंकियों की पनाहगाह और पत्थरबाजी के लिए बदनाम इस इलाके में हर तरफ खौफ का लबादा ओढ़े एक अजीब सन्नाटा है. हालात किसी भी पल खराब हो सकते हैं.

इसके लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं. कोई गैर-शोपियां इस इलाके में घुसने की हिम्मत नहीं कर सकता. यह इलाका पाकिस्तानी और कश्मीरी आतंकियों का गढ़ है. सुरक्षा बलों ने हाल में यहां सद्दाम पाडर और कश्मीर विवि के समाजशास्त्र के प्रो. डा. मोहम्मद रफी भट समेत पांच आतंकियों को ढेर कर दिया था.

सद्दाम यहां की आतंक की दुनिया का बड़ा नाम था. वह शोपियां का ही था. आपरेशन के दौरान देखते-देखते सैकड़ों पत्थरबाजों की भीड़ यहां इकट्ठी हो गई. सुरक्षाबलों पर चारों तरफ से पत्थर बरसने शुरू हो गए.

यहां के पत्थरबाज किस कदर खतरनाक हो गए हैं इसका नजारा बीती दो मई को दिखा जब पत्थरबाजों ने अपने ही जिले के एक कान्वेंट स्कूल की बस को घेर कर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसमें दो बच्चे बुरी तरह जख्मी हो गए जबकि कई घायल हुए. ये बच्चे शोपियां के ही थे.

पत्थरबाजों की नाराजगी सिर्फ इस बात की थी कि स्कूलवालों ने उनके बंद के हुक्म को क्यों नहीं माना? इसी आतंक के कारण कश्मीर के टैक्सी वाले भी आपको यहां घुमाने के लिए तैयार नहीं होंगे. बड़ी मुश्किल से एक टैक्सीवाला तैयार हुआ, जिसकी गाड़ी की अगला हिस्सा दो दिन पहले ही पत्थरबाजी में शहीद हो चुका था.

उसने साफ चेतावनी दी ‘जनाब, आगे मत जाएं वो छोटा पाकिस्तान है.’ फिर इसरार करने पर उसने दो शर्तें सामने रख दीं. एक आप अपनी पत्रकार वाली पहचान नहीं बताएंगे और दूसरे वह कहीं बीच सड़क में अपनी टैक्सी नहीं रोकेगा. चलता रहेगा जब तक जिले की सरहद खत्म नहीं हो जाती.

पूरा कश्मीर इस समय छावनी बना है. हर चालीस कदम पर आपको यहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान गश्त करते मिल जाएंगे लेकिन शोपियां जिले में आपको ये नजारा नहीं मिलेगा. जिले में कोई पच्चीस किलोमीटर हम सीधे चलते गए, सड़क पर न सीआरपीएफ  का जवान मिला, न कोई फौजी और न कोई पुलिसकर्मी. सीआरपीएफ  के एक कमांडेंट ने बताया-‘अकेले ड्यूटी करता कोई भी जवान यहां सुरक्षित नहीं.

थाने और चौकियां यहां बंकरों में तब्दील हो चुकी हैं. पुलिस तब निकलती है, जब सीआरपीएफ  उनके साथ होती है. यह खतरनाक संकेत हैं

ये है छोटा पाकिस्तान – कश्मीर का शोपियां जिला दो साल पहले तक मीठे और रसीले ‘सेब के शहर’ के नाम से जाना जाता था, आज वह आतंकियों की नर्सरी बन गया है.

Kanchan Singh

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