ENG | HINDI

गदाधारी भीम के ये ईश्वरतुल्य पोते पूरी कर देंगे आपकी मुराद।

भीम के पोते

भीम के पोते – ईश्वर के अनेक रूप है, अगर इंसान ईश्वर को देखना चाहे तो कहीं भी देख सकता है।

आज हम आपको बताने वाले हैं, गदाधारी भीम के पोते के बारे में। हम सब जानते हैं कि वनवास के दौरान भीम की हिडम्बा नाम की राक्षसी से शादी हुई थी और घटोत्कच नाम का पुत्र भी पैदा हुआ था। जब कौरव और पांडवों के बीच में महाभारत का युद्ध हो रहा था, तब श्री कृष्णा के कहने पर भीम अपने बेटे घटोत्कच को बुलाते हैं और घटोत्कच कुछ ही पल में कौरवों की आधी सेना का विनाश कर देता है और इसलिए आखिर में इंद्रदेव के वरदान से मिले अस्त्र का उपयोग करते हुए सूर्य पुत्र कर्ण बड़ी आसानी से घटोत्कच का वध कर देते हैं। और आखिर में भीमपुत्र घटोत्कच मारा जाता है।

यह कथा तो सबको पता है लेकिन आपको शायद ही इसके आगे की कथा पता हो… घटोत्कच का भी एक पुत्र था, भीम के पोते का नाम था, “बर्बरीक”अथवा “श्याम बाबा”.

भीम के पोते

महाभारत का युद्ध चल रहा था।

और एक दिन अपनी माँ की आज्ञा से हारे हुए पक्ष का साथ देने  तीन बाण लेकर भीम के पोते बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुँच जाते हैं, जिसका पता श्री कृष्ण को चल जाता है और इसलिए बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण उसके मार्ग में पहुँच जाते हैं। श्री कृष्णा पहले तो बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए तीन बाण के साथ बर्बरीक के युद्ध स्थल में आने का मज़ाक बनाते है, और बर्बरीक से परीक्षा देने की बात कहते हैं और इसलिए बर्बरीक कोई भी परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाता है।

भीम के पोते

अब श्री कृष्णा एक पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि “अगर तुम एक ही तीर में इस पेड़ के सारे पत्ते भेद दो तो हम मान जायेंगे कि तुम सबसे बड़े वीर हो” श्री कृष्णा की बात सुन बर्बरीक हँसता है और तीर साधने लगता है, इसी बीच कृष्णा एक पत्ते को अपने हाँथ में रख लेते हैं और तीर चलने के बाद देखते हैं तो बर्बरीक का बाण सारे पत्ते भेद चूका होता है। श्री कृष्णा बर्बरीक को युद्ध स्थल पर जाने से रोकने के लिए तरकीब निकालते हैं और दान की याचना करने लगते हैं, जिससे बर्बरीक वचन देते हुए उनकी हर इच्छा पूरी करने के लिए राज़ी हो जाता है, आखिर में श्री कृष्णा बर्बरीक से उसका कटा हुआ सिर मांगते हैं ताकि वह युद्ध ना कर सके। और इसलिए बर्बरीक अपना सिर काटकर कृष्णा को दे देते हैं, जिससे भगवान् श्री कृष्णा खुश हो जाते हैं और उन्हें अपना नाम यानी “श्याम” की उपाधि देते हुए आशीर्वाद देते हैं कि तुम्हारा सिर हमेशा अमर रहेगा।

यह तो कथा थी लेकिन अब हम बताने जा रहे हैं, बर्बरीक के मंदिर के बारे में। राजस्थान के खाटू नगर में बर्बरीक़ को  खाटू के श्री श्याम बाबा के नाम से पूजा जाता है। कहा जाता है कि कुछ सौ साल पहले श्री श्याम बाबा का सिर जमीन के अन्दर मिला था और फिर बाद में यहाँ मंदिर बनवाया गया।

यहाँ के लोगों का मानना है किशीश के दानी श्री श्याम बाबा के मंदिर में आकर उनकी हर मुराद पूरी होती है और यहाँ होने वाले चमत्कारों को देखते हुए यह सच भी है।