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मुगल बादशाह अकबर की बीवी ‘नादिरा’ ही थी सलीम की ‘अनारकली’

सलीम-अनारकली

सलीम-अनारकली – ‘मुहब्बत हमने माना जिंदगी बर्बाद कर देती है. ये क्या कम है कि मर जाने पे दुनिया याद करती है’,

फिल्म जगत की सबसे यादगार फिल्म मुगल-ए-आजम का यह डायलॉग आज भी लोगों के मन को हराभरा कर देता है. जब भी दास्तान-ए-इश्क की मिसाल दी जाती है तो शाहजहां-मुमताज, सलीम-अनारकली का नाम पहले आता है. वहीं जलालुद्दीन अकबर को सबसे क्रूर पिता के रूप में हमेशा कोसा जाता है.

आज भी हिंदुस्तान की मिट्टी में अनारकली को चुनवा देने की खुशबू बरकरार है. अनारकली को मुगल बादशाह अकबर और सलीम के बीच मनमुाव की वजह भी माना जाता है. मगर आजतक लोग अनारकली की जिंदगी के रहस्य को समझ नहीं सके. आमतौर पर लोगों को पता है कि अनारकली, सलीम से प्यार करती थी और वह अकबर की कनीज़ थी. मगर आपको बता दें कि अनारकली और सलीम के बीच एक और भी रिश्ता था जिसके बारे में आज हम आपको रुबरु करवाएंगे.

अकबर की पत्नी थी अनारकली

कई इतिहासकारों ने सलीम-अनारकली के संबंधों पर रिसर्च किया तो उन्होंने पाया कि अनारकली का असली नाम नादिरा बेगम था. उन्हें लोग शर्फुन्निसा भी कहते थे. नादिरा ईरान से लाहौर तक व्यापारियों की एक टोली के साथ आई थीं. नादिरा यानि अनारकली इतनी खूबसूरत थी कि जो भी उन्हे देखता था दीवाना बन जाता था. उनकी खूबसूरती की चर्चा पूरे लाहौर में थी. जब यह बात जलालुद्दीन अकबर को पता चली तो उन्होंने अपने दरबार में नादिरा को पेश होने का हुकुम दिया.

सलीम-अनारकली

नादिरा बेगम भी एक कनीज़ थी जो राजा के हुकुम को टाल नहीं सकती थी. इसलिए वह अकबर के दरबार में सफेद पोशाक पहनकर पेश हुईं. सफेद पोशाक में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उनके गुलाबी गाल को देखकर अकबर ने उन्हे ‘अनारकली’ के नाम से नवाजा था. और तब से नादिरा बेगम बन गई आनरकली. बादशाह अकबर को अपने पास नायाब चीजों को रखने में बहुत शौक था इसलिेए उन्होंने नादिर बेगम को अपनी बीवी बना लिया. उनके एक बेटा था दानियाल शाह. अकबर अपनी सभी पत्नियों में से अनारकली को सबसे ज्यादा चाहते थे.

सलीम-अनारकली के बीच संबंध था मां-बेटे का

वहीं ब्रिटिश टूरिस्ट फिंच ने 1611 में हिंदुस्तान का भ्रमण करते हुए अनारकली और सलीम के संबंधों को नाजायज़ बताया. उन्होने अपनी किताब में लिखा कि सलीम और अनारकली के बीच में मां-बेटे का संबंध था. लेकिन जब मुगल बादशाह अकबर ने अनारकली से विवाह किया तब सलीम देश से बाहर थे. जब वह 14 सालों बाद महल आए तो उनके स्वागत के लिये मुजारा कराया गया. उसी मुजरे में ईरान से आई अनारकली शामिल थी. सलीम ने पहली नज़र में आनरकली को देखा और उन्हें दिल दे बैठे. अनारकली भी सलीम की तरफ आकर्षित हो गई थी.

सलीम-अनारकली

अनारकली और सलीम को एक-साथ देख लिया था

जब अनारकली-सलीम के बारे में अकबर को पता चला तो उन्होने अनारकली को सलीम से दूर रहने की चेतावनी दी. वहीं फिन्च के अनुसार, एक बार अकबर ने अपनी पत्नी नादिरा बेगम को पर्दे के पीछे से सलीम के साथ मुस्कुराता हुआ देख लिया था और उन्हें यकीन हो गया इस मामले में अनारकली भी दोषी हैं तो अकबर ने लाहौर के अपने महल की दीवार में नादिरा बेगम यानि अनारकली को चुनवा देने का आदेश दे डाला. और अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था. वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अकबर ने उन्हें पीछे के दरवाजे या सुरंग से बाहर निकाल दिया था.

पाकिस्तान में है अनारकली का मकबरा

अकबर के निधन के बाद उनके बेटे सलीम यानि जहांगीर ने राजगद्दी संभाली. लेकिन वह अपने पहले प्यार को कभी नहीं भुला पाएं. इसलिये जिस महल में अनारकली को चुनवाया गया था उसे अनारकली का मकबरा घोषित कर दिया गया. यह मकबरा आज पाकिस्तान के पंजाब सिविल सेक्रेटरिएट के पास स्थित है. जिसे अनारकली का मकबरा कहा जाता है.

सलीम-अनारकली

तो दोस्तों, इतिहासकारों के अनुसार ये थी सलीम-अनारकली की असली कहानी.  अनारकली का नाम आज भी इतिहास के पन्नों में दफन है और उनकी प्रेम कहानी को आज भी लोग याद करते हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जहांगीर की आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी में अनारकली का जिक्र कहीं नहीं हुआ है.